सहारा को 18 महीने का समय
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सर्वोच्य न्यायालय ने सहारा समूह को 18 माह के भीतर अपने निवेशकों का पैसा लौटाने का समय दिया है. इसी के साथ सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा को 5 हजार के भुगतान करने तथा इतनी ही राशि के बैंक गारंटी देने पर रिहा करने की बात कही है. दूसरी तरफ वित्तीय संस्थानों ने सहारा के बैंक गारंटी के लिये वुत्तीय मदद करने से इंकार कर दिया है. जाहिर है कि सहारा समूह की मुसीबते जल्द खत्म होने नहीं जा रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा को निवेशकों के 36,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए शुक्रवार को 18 महीने का समय दिया है. यह धनराशि सहारा की दो कंपनियों एसआईआरईसीएल और एसएचएफसीएल ने ओएफसीडी के जरिए 2007-2008 के दौरान निवेशकों से जुटाई गई थी. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता में खंडपीठ ने 26 मार्च, 2014 के आदेश को दोहराते हुए कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और इसके दो निदेशकों को 5,000 करोड़ रुपये नकद और समान राशि की बैंक गारंटी जमा कराने के बाद ही तिहाड़ जेल से रिहा किया जाएगा.
अदालत ने सहारा द्वारा दिए गए बैंक गारंटी के प्रारूप को भी अनुमति दे दी है.
अदालत ने कहा है कि सहारा हर दूसरे महीने 3,000 करोड़ रुपये की किश्तों के साथ 36,000 करोड़ रुपेय का भुगतान करेगा और बाकी की धनराशि आखिरी किश्त में जमा की जाएगी.
अदालत ने कहा कि यदि सहारा दो किश्तों के भुगतान में डिफॉल्ट हो जाता है तो सेबी 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाएगा.
यदि सहारा किन्हीं तीन किश्तों का भुगतान करने में विफल हो जाता है तो सुब्रत रॉय और इसके दो निदेशकों को तिहाड़ जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ेगा. ऐसा नहीं होने पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी.
अदालत ने कहा कि सुब्रत अपनी रिहाई से पहले 15 दिनों के भीतर अपने पासपोर्ट जमा कराएंगे. वह देश छोड़कर नहीं जाएंगे और पुलिस को अपने ठिकानों के बारे में जानकारी देते रहेंगे.
हालांकि, सुब्रत के जेल से बाहर आने की संभावना कम है, क्योंकि उनके वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया है कि बैंक गारंटी को वित्तीय मदद देने के वाले वित्तीय संस्थान ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. उन्होंने कहा कि वे नई बैंक गारंटी की व्यवस्था करेंगे, जिसके प्रयास किए जा रहे हैं.