अधर में लटकी मोदी सरकार की सांसद आदर्श ग्राम योजना
रायपुर | संवाददाता: मोदी सरकार की सांसद आदर्श ग्राम योजना की हालत ख़राब है. इस योजना के तहत गोद ली गई ग्राम पंचायतों की तक़दीर अब तक नहीं बदल पाई है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को यह योजना शुरू की थी. इस योजना में देश के सभी सांसदों को एक साल के लिए गांव को गोद लेकर वहां विकास कार्य करने की योजना बनाई गई थी.
सूत्रों का कहना है कि अधिकांश योजनायें पैसों के कारण शुरु नहीं हो पा रही हैं. दूसरी ओर केंद्र सरकार ने भी साफ़ कह दिया है कि इस योजना के तहत कोई विशेष निधि स्वीकृत करने की कोई योजना नहीं है.
हालत ये है कि देश की कई पंचायतों में सांसदों के मार्गदर्शन में तैयारी की जाने वाली ग्राम विकास योजनाएं ही आज तक नहीं बन पाई हैं.
पूरे भारत में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 1768 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया था. सांसद आदर्श ग्राम योजना में जिन ग्राम पंचायतों ने विकास की योजनायें बनाईं, उनकी संख्या 1354 है. यानी 25 फीसदी ग्राम पंचायतों में विकास योजना ही नहीं बन पाई है.
जिन ग्राम पंचायतों में योजनायें बनी, उनमें से कई ग्राम पंचायतों में योजनाबद्ध परियोजनायें पूरी ही नहीं हो पाईं. आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 71,030 योजनायें बनाई गई थीं. लेकिन इनमें केवल 44,272 योजनायें ही पूरी हो पाईं. यानी सांसद आदर्श ग्राम योजना में केवल 62.33 प्रतिशत विकास योजनायें ही पूरी हो पाईं.
छत्तीसगढ़ का हाल
सांसद ग्राम विकास योजना में 54 ग्राम पंचायतें छत्तीसगढ़ की भी हैं.
ग्राम पंचायत विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक 13 ग्राम पंचायतों ने ग्राम विकास योजना ही नहीं बनाई है. ज़ाहिर है, योजना नहीं बनी है तो फिर काम होने का तो सवाल ही नहीं है.
छत्तीसगढ़ में सांसद आदर्श ग्राम योजना का हाल ये है कि इन ग्राम पंचायतों में कुल 3318 योजनाबद्ध परियोजनायें शुरु की गई थीं. लेकिन अब तक इनमें से केवल 2105 परियोजनायें ही पूरी हो पाईं.
लगभग 40 प्रतिशत योजनायें अब भी अधर में लटकी हुई हैं.