पूजास्थान पर अपनी गर्दन काट कर दे दी बलि
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगे हुए धरसींवा के निनवा गांव में 55 साल के एक अधेड़ ने अपने घर के पूजास्थल में अपनी गर्दन काट कर जान दे दी. परिजनों का कहना है कि मृतक बेहद धार्मिक प्रवृत्ति का था. आरंभिक तौर पर इसे बलि का मामला माना जा रहा है.
पुलिस के अनुसार निनवा गांव के 55 वर्षीय भुवनेश्वर यादव ने शनिवार की सुबह, घर के देवस्थान के सामने कैंची से अपनी गर्दन काट कर जान दे दी. जिस समय यह घटना हुई, उस समय घर में कोई और सदस्य उपस्थित नहीं था.
परिवार के सदस्य जब घर पहुंचे तो भुवनेश्वर की मौत हो चुकी थी. परिजनों ने इसके बाद पुलिस को ख़बर दी.
पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.
अंधविश्वास में पिछले महीने 9 की हत्या
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के चक्कर में जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में जादू-टोना के शक़ में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या कर दी गई थी. मारे जाने वालों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं.
घटना कोंटा के कोइलीबेड़ा इलाके के एतकल गांव में हुई थी. जहां गांव वालों ने जादू टोना के शक़ में, एकजुट हो कर हत्या की इस वारदात को अंजाम दिया था.
मारे जाने वालों में मौसम कन्ना पिता लच्छा उम्र 60 वर्ष, मौसम बुच्चा पिता मौसम कन्ना उम्र 34 वर्ष, श्रीमती मौसम बिरी पति मौसम कन्ना, श्रीमती करका लच्छी पति करका लच्छा उम्र 43 वर्ष और श्रीमती मौसम अरजो पति मौसम बुच्चा उम्र 32 वर्ष शामिल थे.
बलौदा बाज़ार में भी मारे गए थे लोग
पिछले ही महीने बलौदा बाज़ार के कसडोल से लगे छरछेद गांव में जादू टोना के शक़ में 4 लोगों की हत्या कर दी गई थी.
पुलिस के अनुसार गांव के रामनाथ पाटले के परिवार में एक बच्चे की तबीयत कई दिनों से खराब चल रही थी. परिवार को शक था कि पड़ोस में रहने वाले चेतराम के परिवार ने ही जादू-टोना किया है.
इसी शक के चलते पूरे परिवार की हत्या करने के लिए पाटले परिवार के सदस्य पहुंचे. घर में चेतराम केंवट, उनकी दो बहनें यशोदा बाई, जमुना बाई और चेतराम का दुधमुंहा भांजा एक साथ बैठे थे.
आरोपियों ने चारों पर कुल्हाड़ी और हथौड़े से ताबड़तोड़ हमला कर दिया. इस हमले में चारों लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण बढ़ाएं- डॉ. दिनेश मिश्र
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश मिश्र ने कहा है कि लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे लोग सुनी सुनाई घटनाओं अफवाहें और भ्रामक खबरों पर भरोसा ना करें और अंधविश्वास में ना पड़े.
उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में व्यक्ति किसी इष्ट देवी, देवता ,का सपना आने और सपने में बलि मांगने की बात भी कहते हैं. उनका दावा होता है कि उन्होंने देवी-देवता के आदेश पर किसी की बलि, कुर्बानी दे दी है. जबकि लोगों को यह सोचने की आवश्यकता है कि किसी की जान लेकर कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता. उसे अपराध करने के करण अंततः जेल जाना पड़ता है.
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा अंधविश्वास के करण जो व्यक्ति मानसिक उद्वेग में चला जाता है तब वह कई बार स्वयं के अंदर किसी अदृश्य शक्ति में प्रवेश होने की बात भी करता है. ऐसी स्थिति में वह किसी के सपने में आने या किसी के आदेश देने या कानों में आवाज सुनाई पढ़ने जैसी बातें भी करता है. जबकि यह एक प्रकार का मानसिक विचलन के ही कारण होता है.
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पीड़ित को किसी चिकित्सक को दिखाया जाना चाहिए. उसकी काउंसलिंग और उपचार किया जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है.