‘नाबाद’ सचिन ने मुंबई को जिताया
रोहतक | एजेंसी: कैरियर के पहले रणजी ट्राफी मैच में नाबाद शतक लगाकर इतिहास रचने वाले वाले सचिन बुधवार को अपने अंतिम रणजी मैच में भी नाबाद रहे. अपनी इस नाबाद पारी के दौरान सचिन ने कई दर्शनीय शॉट लगाए और जाते-जाते एक बार फिर यह साबित कर गए कि आखिरकार उनका कद इतना ऊंचा क्यों है. गौर तलब है कि सचिन ने अपने कैरियर के पहले रणजी मैच में नाबाद शतक लगाया था.
वह 1988 में गुजरात के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में 100 पर नाबाद रहे थे. उस घटना के 25 साल बाद लाहली, रोहतक में सचिन ने हरियाणा के खिलाफ अपने रणजी कैरियर की अंतिम पारी में नाबाद 79 रन बनाए और मुंबई को यादगार जीत दिलाई. सचिन ने 1988 में 15 साल की उम्र में शतक लगाकर नया कीर्तिमान बनाया था.
मोहित शर्मा की गेंद पर विजयी चौका लगाते ही सचिन ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर ईश्वर का धन्यवाद किया और अपने साथियों का अभिनंदन स्वीकार किया. इसके बाद सचिन ने हरियाणा के सभी खिलाड़ियों से हाथ मिलाया और फिर मैदान में मौजूद अम्पयार शावीर तारापोर और के. भरतन से मिले.
मैदान के एक छोर पर मुंबई के फिजियो ने सचिन को अपने कंधे पर उठा लिया. दर्शकों ने सचिन का नारों के साथ अभिनंदन किया. वे इस बात को लेकर खुश थे कि सचिन ने अच्छी पारी खेली लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी था कि उनकी घरेलू टीम सचिन से हार गई.
सचिन ने मैच के बाद कहा, “विकेट चुनौतीपूर्ण थी. गेंदबाजों के लिए अच्छा मौका था लेकिन बल्लेबाजों के लिए मुश्किल हालात थे. 240 का लक्ष्य आसान नहीं था. यह 280 जैसा दिख रहा था. हरियाणा ने शानदार खेल दिखाया. मैं इसके लिए उन्हें बधाई देना चाहता हूं.”
सचिन ने कहा कि लाहलीवासियों के कारण यह मैच उनके लिए हमेशा के लिए यादगार बन गया. बकौल सचिन, “मेरे रोहतक प्रवास को यादगार बनाने के लिए मैं हरियाणा सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं. लाहली के लोग बहुत प्यारे हैं. मैं इन सबको धन्यवाद देना चाहता हूं. मेरे लिए यह मैच कई कारणों से यादगार रहा और इसमें लाहलीवासियों का भी बड़ा योगदान है.”