भारत का सुर बना सार्क का सुर
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: भारत का सुर सार्क का सुर बनता जा रहा है. मंगलवार को ही भारत ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद में नवंबर माह में होने वाले सार्क सम्मेलन में भाग लेने से इंकार कर दिया था. उसके बाद बुधवार को बांग्लादेश, भूटान तथा अफगानिस्तान के भी इस्लामाबाद सार्क सम्मेलन में भाग ने लेने की खबर आ गई है. उल्लेखनीय है कि भारत में टीवी पर कई साल पहले एक विज्ञापन दिखाया जाता था जिसके बोल थे …मिले सुर हमारा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा. यह विज्ञापन भारतीयों में एकता बनाये रखने के लिये संदेश देता था. अब लगता है कि वह गाना सार्क में भी सफल हो रहा है आतंकवाद के खिलाफ, भारत के सुर में कई दूसरे देश सुर मिला रहें हैं. अर्थात् सार्क का सुर आतंकवाद कि खिलाफ है.
जाहिर है कि इससे पाकिस्तान को झटका लगेगा क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ पड़ोसी देशों की गोलबंदी से पाक के अलग-थलग पड़ जाने के जो दावे किये जा रहे थे वे सच होते नज़र आ रहें हैं. इस तरह से चार देशों द्वारा इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में भाग लेने से इंकार करने से ‘इस्लामाबाद सार्क सम्मेलन’ पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. अब इस सम्मेलन के रद्द होने की घोषणा का इंतजार है.
बांग्लादेश द्वारा भेजे गये पत्र में कहा गया है, बांग्लादेश के अंदरूनी मामलों में एक देश के बढ़ते हस्तक्षेप ने ऐसा माहौल उत्पन्न कर दिया है जो नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है. बांग्लादेश ने कहा, सार्क प्रक्रिया के आरंभकर्ता के रूप में बांग्लादेश क्षेत्रीय सहयोग, कनेक्टिविटी और संपर्कों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अटल है, लेकिन उसका मानना है कि ये चीजें एक सुखद माहौल में ही आगे बढ़ सकती हैं. उपरोक्त के मद्देनजर बांग्लादेश इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ है.
वहीं, भूटान ने कहा है कि हालांकि वह दक्षेस प्रक्रिया और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन क्षेत्र में हाल में आतंकवादी घटनाओं में आई तेजी से वह चिंतित है. जिसका असर इस्लामाबाद में नंवबर 2016 में होने वाले 19वें दक्षेस शिखर सम्मलेन के सफल आयोजन के लिए जरूरी माहौल पर पड़ा है.
भूटान की ओर से आगे कहा गया है, इसके अलावा भूटान की शाही सरकार क्षेत्र में आतंकवाद के कारण शांति और सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति पर दक्षेस के कुछ सदस्य देशों की चिंता से इत्तेफाक रखती है तथा वर्तमान हालात में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल होने में अपनी असमर्थता व्यक्त करने में उन देशों के साथ है.
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने मंगलवार को एक ट्वीट किया था, “क्षेत्रीय सहयोग और चरमपंथ एक साथ नहीं चल सकते, इसलिए भारत इस्लामाबाद सम्मेलन में शामिल नहीं होगा.”
Regional cooperation and terror don't go together. India pulls out of SAARC Summit in Islamabad pic.twitter.com/jabKoaBegJ
— Vikas Swarup (@MEAIndia) 27 सितंबर 2016