राष्ट्र

एस. जयशंकर विदेश सचिव बने

नई दिल्ली | एजेंसी: सुजाता सिंह को हटाये हटाने के बाद एस. जयशंकर ने गुरुवार को विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया. उन्होंने यह जिम्मेदारी सुजाता सिंह के कार्यकाल की अवधि अचानक सात महीने कम कर देने के केंद्र सरकार के फैसले के अगले दिन ली. साउथ ब्लॉक में नई जिम्मेदारी संभालते हुए, जयशंकर ने कहा, “मेरी प्राथमिकता वही है, जो सरकार की प्राथमिकता है.”

उन्होंने कहा कि वह इस जिम्मेदारी के लिए चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार रात भारतीय विदेश सेवा के 1977 बैच के अधिकारी जयशंकर को नए विदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया.

मंत्रिमंडल की नियुक्ति कमेटी ने बुधवार को तत्काल प्रभाव से सुजाता का कार्यकाल छोटा करते हुए जयशंकर की नियुक्ति का फैसला किया था.

नियुक्ति कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं.

कमेटी ने कहा कि जयशंकर को दो साल के लिए यह जिम्मेदारी दी गई है.

सुजाता ने अगस्त 2013 में यह पद ग्रहण किया था और उन्हें इस साल अगस्त में सेवानिवृत्त होना था.

अचानक हुआ यह फैसला अमीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के तीन दिवसीय भारत दौरे की समाप्ति बाद के स्वदेश वापसी के अगले दिन हुआ है, जिस दौरान भारत और अमरीका के बीच असैन्य परमाणु समझौते को लेकर महत्वपूर्ण कदम की घोषणा की गई थी.

ओबामा गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने नई दिल्ली पहुंचे थे.

वर्ष 2013 में अमरीका में भारतीय राजदूत के रूप में नियुक्त किए गए जयशंकर ने दोनों देशों के बीच की खाई पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और पिछले साल सितंबर में मोदी की अमरीका यात्रा की तैयारी में उनकी बड़ी भूमिका थी.

विदेश मंत्रालय में 2004-07 के बीच संयुक्त सचिव रहते हुए वह परमाणु संधि पर बातचीत करने वाले अधिकारियों में शामिल थे.

अमरीका से पहले वह चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं.

जयशंकर के परिवार के सदस्य प्रशासनिक सेवा में हैं और वह भारतीय विदेश नीति के अगुआ के.सुब्रह्मण्यम के बेटे हैं.

वर्ष 2013 में विदेश सचिव के पद के लिए उनके नाम पर विचार किया गया था, लेकिन तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने उनकी जगह सुजाता सिंह को चुना.

error: Content is protected !!