आरएसएस-भाजपा असहिष्णु: राहुल
मुंबई | समाचार डेस्क: राहुल गांधी ने आरएसएस-भाजपा को असहिष्णु सोच वाला कहा है. उनके अनुसार भारत को लचीलेपन तथा खुलेपन की जरूरत है. प्रधानमंत्री मोदी के स्टार्ट-अप इंडिया की शुरुआत के दिन ही राहुल गांधी ने कहा असहिष्णुता तथा स्टार्ट-अप एक साथ नहीं चल सकते हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की सोच को ‘रूढ़िवादी’ करार देते हुए कहा कि यह रचनात्मकता और स्टार्ट-अप में बाधक है. प्रतिष्ठित नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि आरएसएस-भाजपा के पास केवल इस बात की स्पष्ट सोच है कि उनके विचारों के अनुरूप दुनिया किस तरह की होनी चाहिए.
उन्होंने आरएसएस-भाजपा पर असहिष्णु होने का आरोप लगाते हुए कहा, “जब आप असहिष्णु होते हैं तो विचारों के आदान प्रदान को बाधित करते हैं. भारत को खुलेपन और लचीलेपन की जरूरत है. आप एक ही वक्त में असहिष्णु होने के साथ-साथ स्टार्ट-अप भी शुरू नहीं कर सकते.”
राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने देश में सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा दिया था, जहां लोग अपने विचारों पर चर्चा करने के लिए स्वतंत्र थे.
जींस और टी-शर्ट पहने राहुल ने युवाओं को संबोधित करते हुए केंद्र में सतारूढ़ भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है, लेकिन वर्तमान सरकार किसानों के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर रही.
गांधी ने कहा, “भारत पारंपरिक रूप से एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था रही है, लेकिन हमने अब कृषि से आईटी और ज्ञान अर्थव्यवस्था में रूपातंरण कर लिया है. कुछ साल पहले हमने ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ योजना शुरू की थी, जिसका पुरजोर विरोध किया गया था, लेकिन आज अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान है. इसने ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है.”
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, “संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की नीति किसानों का समर्थन करती थी, लेकिन वर्तमान सरकार किसानों के हित के बारे में नहीं सोचती. उन्होंने संप्रग की नरेगा और अन्य योजनाओं को बंद करने की कोशिश की थी, लेकिन हमारे दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर पाए.”
स्टार्ट-अप से संबंधित एक सवाल के जवाब में कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि इसके लिए एक संपूर्ण सहयोग प्रणाली की जरूरत होती है, जिसमें वित्तीय सहायता के साथ ही सरकार के नियम कानूनों से स्वतंत्रता और बुनियादी ढांचे जैसी कई चीजों की जरूरत होती है.
उन्होंने कहा, “यही वजह है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में स्टार्ट-अप लांच करना आसान माना जाता है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में उद्यमों को कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है.”