रोका छेका के विज्ञापन पर सरकार उलझी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में रोका-छेका के विज्ञापन पर कुल कितना खर्च हुआ है, यह छत्तीसगढ़ सरकार अब तक तय नहीं कर पाई है. गौवंश और दूसरे पशुओं को फसल लगाते समय खुले में चराई से रोकने की इस परंपरागत प्रथा को छत्तीसगढ़ सरकार ने ज़ोर-शोर से प्रचारित किया था.
अब विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा है कि प्रदेश में रोका-छेका के विज्ञापन पर कोई खर्च नहीं किया गया है. वहीं दूसरे सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने 1,38,76,162 रुपये विज्ञापनों पर खर्च करने का दावा किया है.
शुक्रवार को विधानसभा में रोक छेका को लेकर उठे सवालों के बीच यह बात सामने आई कि इस परंपरागत प्रथा को ख़ूब प्रचारित प्रसारित किया गया.
रजनीश कुमार सिंह के सवाल के जवाब में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने जवाब दिया कि रोका-छेका अभियान पशुओं के खुले में चराई पर रोक लगाने एवं फसल की सुरक्षा हेतु 19 जून से शुरु किया गया है.
आज से पूरे प्रदेश में खरीफ फसलों को मवेशियों से बचाने के लिए रोका-छेका की तैयारियां गांव-गांव में प्रारंभ हो गई हैं। जिनमें पंचायत प्रतिनिधियों सहित ग्रामीण बड़े उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
दुर्ग जिले के ग्राम पतोरा में आयोजित रोका-छेका की रस्म में V.C के द्वारा शामिल हुआ। pic.twitter.com/fUQbp8KcVF
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 19, 2020
कृषि मंत्री के अनुसार इसके विज्ञापन पर 1 करोड़ 38 लाख, 76 हज़ार, 162 रुपये खर्च किये गये हैं. इसमें से 4,11,645 रुपये केवल होर्डिंग्स पर खर्च किये गये.
इसी तरह 1,02,76,223 रुपये इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रचार-प्रसार पर खर्च किये गये. जबकि प्रिंट मीडिया में विज्ञापन पर 31,88,294 रुपये खर्च किये गये.
लेकिन डमरूधर पुजारी के एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री ने विज्ञापन पर कोई खर्च नहीं होने की बात कही है. डमरूधर पुजारी ने रोका छेका को लेकर साफ़-साफ़ पूछा कि प्रदेश में योजना के प्रचार-प्रसार में व विज्ञापन में कितनी राशि खर्च की गई है?
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में योजना के प्रचार-प्रसार व विज्ञापन के लिये विभागों द्वारा कोई भी राशि व्यय नहीं किया गया है.