राष्ट्र

चट्टानी इरादे वाले केजरीवाल

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अरविंद केजरीवाल के चट्टानी इरादों ने उन्हें फिर से दिल्ली में सुनामी मार्का जीत दिलाई हैं. दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर विजय मिलने के बाद उन्हें एके-67 के नाम से पुकारा जा रहा है. इन 67 सीटों को जीतने के लिये अरविंद केजरीवाल ने 15 माह तक सतत परिश्रम किया है. राजनीति की दहलीज पर दस्तक देने से पहले अरविंद केजरीवाल स्वतंत्र विचारों वाला होने का तमगा लिए कई क्षेत्रों में घूम चुके व्यक्ति थे. वह लोकसभा चुनाव हारे, मगर मंगलवार को आए चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता.

दिल्ली विधानसभा का यह चुनाव वर्ष 2013 के चुनाव के करीब 15 माह बाद हुआ है. इस चुनाव ने उन्हें अनुभवी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले कहीं ज्यादा पक्का इरादे वाला ‘लड़ाका’ साबित कर दिया.

दिल्ली के एक स्लम में ठेकेदारों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले अरविंद केजरीवाल अपनी वेशभूषा के कारण ‘मफलर वाला’ के नाम से पूरे देश में मशहूर हुए. आयकर अधिकारी के पद को अलविदा कह राजनीति में आए केजरीवाल इस चुनाव में कड़ाके की सर्दी बीच गले में मफलर लपेटे कठिन परिस्थितियां और केंद्र के सत्ताधारियों व कांग्रेस के जहर बुझे तीर झेलते रहे और मुकाबले में चट्टान की तरह डटे रहे.

जो उन्हें करीब से जानते हैं, उनका कहना है कि केजरीवाल सामाजिक कार्यकर्ता व नेता से कहीं ज्यादा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को समर्पित हैं. वह अपना लक्ष्य जानते हैं.

केजरीवाल को 15 वर्षो से जानने वाले पूर्व आईटी पेशेवर पंकज गुप्ता ने कहा, “एके की स्पष्ट सोच है. वे अपने उद्देश्य के प्रति अत्यंत सजग हैं.”

गुप्ता आम आदमी पार्टी में उसके गठन के समय 2012 से ही सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री एके अत्यंत कर्मठ, ऊर्जावान और धुन के पक्के हैं.

लेकिन केजरीवाल के दोस्त जिस वजह से उन पर फिदा हैं, वह है कि अप्रत्याशित जीत के बावजूद आप नेता का साधारण वेश में रहना और कामयाबी पर घमंड नहीं करना.

केजरीवाल आध्यात्मिक सोच से भरे हैं और बुजुर्गो का सम्मान करते हैं. असल में वह विनोदी स्वाभाव से भरे हैं और इसका प्रदर्शन उन्होंने कथित रूप से ऑनलाइन चैट शो ‘द विराल फीवर’ पर कहा था, “पार्टियां मेरे राजनीतिक बयान के लिए आलोचना करती हैं और घर पर मेरी पत्नी मेरे बैंक स्टेटमेंट के लिए आलोचना करती है. हर कोई मेरी आलोचना करती है.”

वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आप को पराजय का सामना करना पड़ा था. वह खुद बनारस जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े, पराजय झेली और इससे पूर्व 49 दिनों में इस्तीफा देकर पंगु दिल्ली सरकार को गिराने वाले पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल चुटकुलों का पात्र होकर रह गए थे. लग रहा था, सबकुछ खत्म हो गया. पार्टी बिखर रही है, लेकिन किसे पता था कि धुन के पक्के केजरीवाल फिर से पांच साल के लिए दिल्ली की गद्दी पर बैठेंगे.

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले इस योद्धा को फिलिपींस में रेमन मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया था. इस अवार्ड को एशिया का नोबल पुरस्कार माना जाता है.

16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार जिले के सिवान गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे केजरीवाल ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को राजनीतिक आंदोलन में तब्दील कर दिया.

चिकित्सक बनने की तमन्ना रखने वाले केजरीवाल को पिता की इच्छा के अनुरूप भारतीय प्रौद्योगकी संस्थान-खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करनी पड़ी और बाद में वह भारतीय राजस्व सेवा में आए. उन्होंने मां से अनुमति लेकर एक विभागीय सहकर्मी सुनीता के साथ विवाह किया. उनके दो बच्चे हैं हर्षिता और पुलकित.

आयकर विभाग में अधिकारी रहते हुए केजरीवाल ने जो कर दिखाया, वैसा करने का साहस शायद कम ही लोग दिखा पाते हैं. उन्होंने प्रणाली को साफ करने का प्रयास किया.

दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं की लड़ाई लड़ने वाले केजरीवाल ने वर्षो पहले ‘परिवर्तन’ नाम से एनजीओ की स्थापना की. लोगों को जागरूक करना शुरू किया और सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर सुंदरनगरी में लोगों को ठग रहे भ्रष्ट ठेकेदारों और अधिकारियों की पोल खोली.

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