छत्तीसगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग 45 फ़ीसदी तक बढ़ाएगा
रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ 15 फ़ीसदी रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग को आने वाले दिनों में 45 फ़ीसदी तक बढ़ाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गुजरात के गांधीनगर में इस आशय की घोषणा की. वे चौथे ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स समिट एंड एक्सपो, री-इंवेस्ट-24 में बोल रहे थे.
सोमवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस री-इंवेस्ट-24 का शुभारंभ किया. री-इंवेस्ट-24 की थीम ‘मिशन 500 गीगावाट’है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सोलर एनर्जी, हायडल एनर्जी, बायोगैस से बिजली के उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. प्रदेश में बिजली की खपत 5500 मेगावाट है. प्रदेश में करीब 15 प्रतिशत बिजली का उत्पादन रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों से किया जा रहा है. इसे आने वाले समय में 45 प्रतिशत तक बढ़ाने का हमारा लक्ष्य है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण क्रेडा के माध्यम से छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा तथा अन्य गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जा रहा है. प्रदेश के दूरस्थ एवं वनांचलों में स्थित गांवों में जहां बसाहटें काफी बिखरी हुई होती हैं. बसाहटों की दूरी एक दूसरे से दो-तीन किमी तक होती है. बीच में कोई नाला आ गया, कोई छोटी सी पहाड़ी आ गई. ऐसे में बिजली की लाइन खींचना बेहद कठिन होता है और लागत बढ़ जाती है. ऐसे क्षेत्रों में क्रेडा द्वारा सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ढाई हजार से ज्यादा शासकीय भवन, आश्रम छात्रावास और स्वास्थ्य केंद्र सौर ऊर्जा से रोशन हैं. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेडा को वर्ष 2018 में सराहा गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रारंभ की गई पीएम सूर्यघर योजना से देश का आम आदमी अब बिजली खरीदने वाला नहीं, बिजली बेचने वाला बन जाएगा. छत्तीसगढ़ में भी इस योजना के उत्साह जनक परिणाम मिल रहे हैं. शहरी क्षेत्रों में वार्डवार शिविर लगाकर लोगों को इस योजना के संबंध में जागरूक किया जा रहा है और मौके पर ही फार्म भराए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से भिलाई के बीच चरौदा में रेलवे की जमीन पर सोलर प्लांट लगाया गया है. इस सोलर प्लांट से रायपुर और दुर्ग की लोकल ट्रेन चल रही हैं. इसी तरह बलरामपुर जिले के तातापानी में गर्म जल के प्राकृतिक कुंड हैं. यहां 100 किलो वाट का भूतापीय विद्युत संयंत्र लगाने का निर्णय लिया गया है. खेती-किसानी में भी सिंचाई के लिए सौर सिंचाई पंपों का उपयोग किया जा रहा है. क्रेडा द्वारा किसानों के खेतों में डेढ़ लाख से ज्यादा सोलर सिंचाई पंप स्थापित किए गए हैं. इसी तरह प्रदेश में सोलर पंप के माध्यम से 230 सौर सामुदायिक सिंचाई संचालित की जा रही हैं. प्रदेश में लगभग 25 हजार सोलर पेयजल पंप स्थापित किये जा चुके हैं. इनसे साढ़े छह लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में छोटे-छोटे लघु जल विद्युत संयंत्र भी स्थापित किए गए हैं, इनसे 75 मेगावाट ऊर्जा मिल रही है. प्रदेश में 37 लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्वीकृति दी गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है. इस दिशा में छत्तीसगढ़ भी प्रमुख भूमिका निभाएगा.
इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद जोशी, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और गोवा के मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ के उर्जा विभाग के सचिव श्री पी. दयानंद एवं क्रेडा के सीईओ श्री राजेश सिंह राणा भी उपस्थित थे.
एक्सपो समिट में मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश हिस्सा रहा हैं. वहीं इस साल प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदारों में ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी और नॉर्वे जैसे देश भी शामिल हैं. री-इन्वेस्ट समिट दुनिया को भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता को प्रदर्शित करने और बहुपक्षीय वार्ता शुरू करके क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम में 40 से अधिक सत्र होंगे.