मोदी को बिहार की फटकार: NY Times
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने संपादकीय में कहा है बिहार की जनता का प्रधानमंत्री मोदी को संदेश है कि नफरत फैलने से रोके. अणरीकी अखबार ने अपने संपादकीय में यह टिप्पणी भी है कि बिहार के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के विकास के वादों की बजाये नीतीश कुमार के विकास को तरहीज दी है. उल्लेखनीय है कि जब नरेन्द्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था उस समय भी इस अखबार ने उनके प्रतिकूल टिप्पणी की थी तथा कहा था कि मोदी देश नहीं चला सकते हैं. अमरीकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स ने मंगलवार को अपने संपादकीय में कहा कि बिहार चुनाव के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नफरत फैलाने पर लगाम लगाने का संदेश दिया है. ‘अ रीबक टू इंडियाज प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी‘ (भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फटकार) शीर्षक वाले संपादकीय में अखबार ने लिखा है कि भारत में बीते साल आम चुनाव के दौरान मोदी ने ‘सबका विकास’ का वादा किया था.
अखबार का कहना है कि बतौर प्रधानमंत्री, मोदी ने अभी तक कोई बड़ा आर्थिक कदम नहीं उठाया है. लेकिन, “इस बीच उनकी सरकार और पार्टी के सदस्यों ने सांप्रदायिक तनाव भड़का कर उनके सभी को साथ लेकर चलने के वादे को अलग-थलग जरूर कर दिया.”
संपादकीय में कहा गया है, “जनसंख्या के हिसाब से देश के तीसरे सबसे बड़े राज्य में मतदाताओं ने मोदी को संदेश दिया है : नफरत फैलाने का अभियांन बंद करें.”
संपादकीय में कहा गया है, “राजनीति को धार्मिक नफरत के जहर से भरने का नतीजा देश की आर्थिक क्षमताओं को गंवाने की शक्ल में ही सामने आएगा. वह भी, एक ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया और विश्व में भारत को अधिक बड़ी और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए.”
संपादकीय में कहा गया है, “भारत का इतिहास धार्मिक और जातीय हिंसा से भरा हुआ है, जिसकी वजह से देश पीछे गया. ये विवाद भारत की तेज आर्थिक प्रगति के दौरान दब गए थे, लेकिन कई भारतीयों को लग रहा है कि अब ये विवाद फिर सिर उठा रहे हैं.”
संपादकीय में कहा गया है, “पार्टी के सांसद-विधायक गोमांस पर देशव्यापी रोक की कोशिश करते दिखे. गाय को कई हिंदू पवित्र मानते हैं, लेकिन यह दरअसल हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे से अलग करने की चाल थी, जिनमें से कुछ गोमांस खाते हैं.”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने गोमांस मुद्दे पर कुछ मुसलमानों की हत्या का जिक्र करते हुए लिखा कि मोदी ने मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों की गुहार के बावजूद इन हत्याओं की सख्ती से निंदा नहीं की. उन्होंने भाजपा मंत्रियों और नेताओं की नफरत भरी और असंवेदनशील बातें सही.
अखबार ने लिखा है कि कई राजनैतिक विश्लेषक इस हार को ‘मोदी को नकारना’ बता रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि चुनाव प्रचार मोदी पर केंद्रित था. स्थानीय नेताओं की तस्वीरें विज्ञापनों से गायब थीं.
संपादकीय में कहा गया है कि खुद मोदी ने सांप्रदायिक विभाजन की कोशिश की. आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि अभी यह जिन्हें मिल रहा है, उनसे इसका कुछ हिस्सा लेकर एक ‘समुदाय विशेष’ को दे दिया जाएगा. इशारा मुसलमानों की तरफ था.
अखबार ने लिखा है कि बिहार के मतदाताओं ने भाजपा की बांटने वाली इन बातों को समझ लिया. ये मतदाता और पूरे भारतवासी ऐसा नेता चाहते हैं जो उनका जीवन स्तर सुधारें. इस मामले में उन्हें नीतीश कुमार में संभावना दिखी.
संपादकीय में मोदी सरकार को विकास पर जोर देने की सलाह दी गई है.