रिजर्व बैंक ने छत्तीसगढ़ को सराहा
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: देश के गैर विशेष श्रेणी के राज्यों में छत्तीसगढ़ का कर्जभार सबसे कम है. भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में यह बात निकलकर आई है. अपनी साल 2015-16 की रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कम कर्जभार वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ को सबसे शिखऱ पर घोषित किया है. छत्तीसगढ़ का राज्य के सकल घरेलू उत्पादन का केवल 15.5 फीसदी का ही कर्जभार है. यह देश में गैर विशेष श्रेणी के राज्यों में सबसे कम है. इस तरह से रिजर्व बैंक ने छत्तीसगढ़ के वित्तीय स्थिति की तारीफ की है.
छत्तीसगढ़ में सामाजिक तथा विकास के क्षेत्र में देश में सबसे ज्यादा व्यय आनुपातिक रूप से किया जाता है. राष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों में राज्यों द्वारा अपने सकल घरेलू उत्पादन का महज 12.2 फीसदी खर्च किया जाता है जबकि छत्तीसगढ़ इन क्षेत्रों में 21.2 फीसदी का खर्च करता है.
पिछले साल छत्तीसगढ़ इस सूची में देश में दूसरे स्थान पर था. पिछले साल छत्तीसगढ़ ने सामाजिक तथा विकास के क्षेत्र में अपने सकल घरेलू उत्पादन का 15 फीसदी खर्च किया था जबकि अन्य राज्यों ने 8 फीसदी खर्च किया था.
छत्तीसगढ़ पूंजीगत व्यय के मामलें में भी देश के गार विशेष श्रेणी के राज्यों में पांचवें स्थान से चौथे स्थान पर पहुंच गया है. छत्तीसगढ़ का पूंजीगत व्यय अपने सकल घरेलू उत्पादन का 4.4 फीसदी है जबकि देश के अन्य राज्यों का 2.7 फीसदी है.
यहां तक कि छत्तीसगढ़ अपने कर्ज के ब्याज के तौर पर अपने सकल घरेलू उत्पादन का महज 0.8 फीसदी ही भुगतान करता है जो देश में सबसे कम है.
छत्तीसगढ़ जो कर राजस्व संग्रह करता है वह उसके सकल घरेलू उत्पादन के 8.1 फीसदी के बराबर है. देश के दूसरे राज्यों में कर राजस्व संग्रह सकल घरेलू उत्पादन की तुलना में मात्र 6.6 फीसदी ही होती है.
गैर कर राजस्व संग्रह छत्तीसगढ़ में सकल घरेलू उत्पादन के 3.5 फीसदी के बराबर का होता है जबकि देश के दूसरे राज्यों में यह 1.3 फीसदी होता है.
छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति को संक्षेप में कहा जाये तो यहां कर राजस्व का संग्रह अधिक होता है, सामाजिक क्षेत्रों में व्यय ज्यादा होता है, इसका कर्जभार तुलनात्मक रूप से कम है तथा इसे ब्याज भी कम देना पड़ता है.