रबी की धान का लक्ष्य छत्तीसगढ़ सरकार ने रखा शून्य
रायपुर | संवाददाता : धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में रबी के मौसम में धान के लिए सरकार पानी नहीं नहीं देगी. राज्य सरकार ने रबी में धान की बुआई का लक्ष्य शून्य रखा है.
विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस पार्टी गरमी के दिनों में धान की फसल के लिए पानी देने को लेकर आंदोलन करती रही है.
भाजपा शासनकाल में इसी तरह के फैसले का कांग्रेस विरोध करती रही है.
यहां तक कि रबी की धान की फसल का समर्थन मूल्य नहीं मिलने को लेकर भी कांग्रेस पार्टी सवाल उठाती रही है.
रबी की फसल के लिए किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. सरकार को कोचियों को रोकना चाहिए जिससे कि किसानों का शोषण रुके. pic.twitter.com/pYt1czsaTd
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) June 2, 2017
लेकिन इस साल कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ही पानी पर प्रतिबंध लगा दिया है.
@drramansingh सरकार कह रही है कि रबी की फसल में धान मत लो. टमाटर फेंकना पड़ रहा है, सब्ज़ियां सड़ रही हैं. तो क्यों दूसरी फसल लें किसान?
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 9, 2016
राज्य सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार कृषि विभाग द्वारा इस साल रबी सीजन के लिए निर्धारित फसल बुआई के कार्यक्रम में ग्रीष्मकालीन धान के रकबे का लक्ष्य शून्य कर दिया गया है.
राज्य शासन द्वारा रबी में ग्रीष्मकालीन धान की बोनी को हतोत्साहित करने तथा अन्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसा किया गया है, ताकि धान की खेती के बजाय रबी सीजन में किसानों का रूझान गेहूं, चना, मटर सहित अन्य फसलों की ओर बढ़े.
बीते रबी सीजन में राज्य में 2 लाख 22 हजार 170 हेक्टेयर में किसानों ने ग्रीष्मकालीन धान की खेती की थी.
इस साल रबी सीजन में राज्य में 19 लाख 25 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित है.
वर्तमान में रबी फसलों की बुआई शुरू हो चुकी है.
अब तक 89 हजार 340 हेक्टेयर में जौ-ज्वार, गन्ना और दलहनी, तिलहनी फसलों सहित साग-सब्जी की बुआई की जा चुकी है, जो कि निर्धारित लक्ष्य का 5 प्रतिशत है.
गौरतलब है कि राज्य में इस साल अच्छी बारिश होने की वजह से खरीफ फसलों, विशेषकर धान के खेतों में नमी बनी हुई है. अभी धान की कटाई और मिजाई जारी है.
इसके चलते रबी फसलों की बोनी भी प्रभावित हुई है. गत वर्ष अक्टूबर माह के अंत 1 लाख 36 हजार 440 हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी थी.
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार रबी वर्ष 2022-23 में गेहूं के रकबे में बीते वर्ष की तुलना में 70 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी कर इसका रकबा इस साल 2 लाख 90 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया है.
इसी तरह मक्का की खेती एक लाख 30 हजार हेक्टेयर, जौ-ज्वार एवं अन्य फसलों की खेती 16 हजार हेक्टेयर में लिये जाने का लक्ष्य है.
इस साल रबी सीजन में दलहनी फसलों के रकबे 74 हजार 140 हेक्टेयर की वृद्धि प्रस्तावित कर इसका रकबा 8 लाख 65 हजार हेक्टेयर निर्धारित किया गया है.
बीते वर्ष रबी सीजन में 7 लाख 90 हजार 860 हेक्टेयर में दलहनी फसलें ली गई थी.
इसी तरह इस साल रबी सीजन में तिलहनी फसलों के रकबे में एक लाख 33 हजार हेक्टेयर की वृद्धि कर इसका रकबा 3 लाख 77 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है.
बीते वर्ष 2 लाख 44 हजार हेक्टेयर में तिलहनी फसलों की बोनी हुई थी.
गन्ने के रकबे को बीते रबी सीजन की तुलना में 8 हजार 90 हेक्टेयर की वृद्धि कर 50 हजार हेक्टेयर तथा साग-सब्जी एवं अन्य फसलों के रकबे में लगभग 21 हजार हेक्टेयर की वृद्धि प्रस्तावित कर एक लाख 97 हजार हेक्टेयर किया गया है.
रबी सीजन 2022-23 में गेहूं, मक्का सहित अन्य अनाज फसलें अब तक 1480 हेक्टेयर में बोई जा चुकी है.
दलहनी फसलों के अंतर्गत चना, मटर, मूंग, उड़द, कुल्थी आदि की 58 हजार 160 हेक्टेयर में बोआई हो चुकी है, जिसमें सर्वाधित 43 हजार 850 हेक्टेयर बुआई का रकबा तिवड़ा है.
दलहनी फसलों के अंतर्गत अलसी, सरसो, तिल, कुसुम, मूंगफली आदि की बुआई 13 हजार 910 हेक्टेयर में हो चुकी है.
किसान रबी सीजन में गन्ना की बुआई भी तेजी से कर रहे है, अब तक 4 हजार 170 हेक्टेयर में गन्ना लगाया जा चुका है, जबकि साग-सब्जी एवं अन्य रबी फसलों की बुआई 11 हजार 620 हेक्टेयर में हो चुकी है.