रायपुर

छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में आईएएस रानू साहू को जमानत

रायपुर | संवाददाता: पिछले साल जुलाई में कोयला घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ़्तार छत्तीसगढ़ की आईएएस रानू साहू को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. हालांकि उनकी रिहाई को लेकर अभी संदेह बना हुआ है क्योंकि उनके ख़िलाफ़ राज्य की एसीबी ने भी मामला दर्ज़ कर रखा है.

रानू साहू गिरफ़्तारी के समय कृषि विभाग की संचालक और छत्तीसगढ़ राज्य मंडी बोर्ड की प्रबंध संचालक थीं.

वे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बेहद विश्वासपात्र अधिकारियों में थीं.

हालत ये थी कि कोरबा के तत्कालीन विधायक और राज्य के राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कई अवसरों पर, सार्वजनिक तौर पर रानू साहू पर कथित भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए.

लेकिन मंत्री के आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और रानू साहू अपने पद पर बनी रहीं.

कौन हैं रानू साहू

रानू साहू छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले की रहने वाली हैं.

राज्य सेवा आयोग की परीक्षा देकर 2005 में पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर चयनित होने वाली रानू साहू बेहद महत्वाकांक्षी रही हैं.

उन्होंने 2010 में लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी और भारतीय प्रशासनिक सेवा में उनका चयन हुआ.

उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर आवंटित किया गया, जहां वे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं.

रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा में कलेक्टर थीं. इसके बाद फ़रवरी 2023 तक वे रायगढ़ ज़िले की भी कलेक्टर थीं.

कोरबा और रायगढ़, दोनों ही ज़िले ऐसे हैं, जहां से सर्वाधिक कोयले का उत्पादन भी होता है और उसका परिवहन भी होता है.

रानू साहू के पति आईएएस जयप्रकाश मौर्य जून 2021 से भूगर्भ और खनिज विभाग के विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे.

2022-23 में रानू साहू के घर और दफ़्तर पर ईडी ने तीन-तीन बार छापामारी की और उनसे कई बार पूछताछ की गई.

11 अक्तूबर 2022 को जब ईडी ने रानू साहू के रायगढ़ स्थित कलेक्टर निवास पर छापा मारा तो उनके सरकारी बंगले पर ताला लगा था.

इसके बाद ईडी ने उनका सरकारी बंगला सील कर दिया था. राज्य में किसी कलेक्टर के सरकारी आवास को सील करने का यह पहला मामला था.

इस घटना के महीने भर बाद 14 नवंबर को रानू साहू ने अपने रायगढ़ लौटने की सूचना खुद ही ईडी को दी.

जिसके बाद मामले की जांच तेज़ हुई. लेकिन रानू साहू की गिरफ़्तारी नहीं की गई.

क्या है कोयला घोटाला

अक्तूबर 2022 में ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई अफसरों और कारोबारियों के घर-दफ़्तर पर छापामारी की थी और आरोप लगाया था कि राज्य में एक संगठित गिरोह कोयला परिवहन में 25 रुपए प्रति टन की वसूली कर रहा है.

ईडी के दस्तावेज़ों की मानें तो 15 जुलाई 2020 को इसके लिए सरकारी अधिकारियों ने एक सोची-समझी नीति के तहत आदेश जारी किया और उसके बाद ही अवैध वसूली का सिलसिला शुरू हुआ.

ईडी के अनुसार, इस घोटाले में कई कारोबारी, कांग्रेस पार्टी के नेता और अफ़सर शामिल थे और उन्होंने अब तक इस तरीक़े से 540 करोड़ रुपए से अधिक की रक़म अवैध तरीक़े से वसूली की.

अदालत में प्रस्तुत दस्तावेज़ों में ईडी ने दावा किया है कि उसने इस संबंध में बड़ी संख्या में डायरी, फ़ोन चैट, लेन-देन के सबूत, करोड़ों रुपए नक़द, सोना, अरबों रुपए की संपत्ति के ब्यौरे और दूसरे दस्तावेज़ जब्त किए.

इसके अलावा उसने अभियुक्त कारोबारियों, अफ़सरों और नेताओं की 200 करोड़ रुपए से अधिक की कथित अवैध संपत्ति भी अटैच की है.

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