छत्तीसगढ़

ऐसे मिलती है खुशी-रमन

रायपुर | संवाददाता: मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खुशी की अपनी परिभाषा व्यक्त की है. उन्होंने कहा – भूखे को भोजन देने, गांवों में अंधेरा दूर करनेे के लिए बिजली पहुंचाने, बच्चों के लिए शिक्षा की बेहतर सुविधाएं देने, आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में जो खुशी मिलती है, वह अनमोल है. उन्होंने कहा कि जीवन में बदलाव लाने वाली योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से मुझे संतुष्टि मिलती है. मुख्यमंत्री सोमवार को रायपुर में हिन्दी दैनिक ’पत्रिका’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रबुद्ध नागरिकों को सम्बोधित कर रहे थे.

डॉ. सिंह ने कहा- मेरे गृह नगर कवर्धा में जब बिजली पहुंची, उस समय मैं आठवीं कक्षा का छात्र था. बिजली नहीं थी, तो हमें घर पर लालटेन की रौशनी में पढ़ाई करनी पड़ती थी. जब बिजली आई तो इतनी खुशी हुई कि रात भर जागते भी रहे और पढ़ाई करते रहे. मुख्यमंत्री ने कहा-आज उसी तरह की खुशी अबूझमाड़ जैसे दूर-दराज इलाके के गांवों में बिजली पहुंचने पर जनता में देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने देश का पहला खाद्यान्न सुरक्षा कानून बनाकर राज्य के लगभग 60 लाख गरीब परिवारों के लिये सस्ते चावल, चना और निःशुल्क नमक की व्यवस्था की गई. राज्य में अब किसी भी व्यक्ति को भूखे पेट सोना नहीं पड़ता है. उन्होने कहा कि भविष्य में खुशहाली कनेक्टिविटी पर निर्भर है. राज्य में कनेक्टिविटी जितनी मजबूत होगी उतनी तेजी से विकास होगा. इसी उद्देश्य से दूरसंचार, बिजली, सड़क, रेलमार्ग का विस्तार हमारी प्राथमिकता में है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अपने निर्माण के सोलह वर्षो के बाद देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है. पांच हजार करोड़ रूपये के बजट से शुरूआत कर आज छत्तीसगढ़ का बजट लगभग 70 हजार करोड़ से ज्यादा का हो गया है. यहीं नहीं बल्कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन बेहतर है और यह देश का पहला राज्य है, जो सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर सर्वाधिक खर्च करता है. हमें विश्वास है कि आनेवाले वर्षो में प्रचुर प्राकृतिक संसाधन एवं यहां के मेहनतकश लोगों के बदौलत पर छत्तीसगढ़ देश सबसे विकसित राज्य बनेगा.

उन्होंने कहा-देश और दुनिया में हर समस्या का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है. ऐसा कोई भी विषय नहीं है, जिसका समाधान युद्ध में हुआ हो. डॉ. सिंह ने कहा- हमें चारों दिशाओं से आने वाले अच्छे विचारों का स्वागत करना चाहिए. बुराईयों को अच्छे विचारों के ओजोन परत के जरिए रोका जा सकता है.

इस अवसर पर पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी ने देश की शिक्षा व्यवस्था में नैतिक मूल्यों की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा-शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो नई पीढ़ी को सामाजिक सरोकारों से जोड़े. शिक्षा के बुनियादी ढाचे में मानवीय मूल्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

श्री कोठारी ने कहा – जो व्यक्ति सिर्फ अपने लिए जिएगा, वह कभी सुखी नहीं हो सकता. शिक्षा सिर्फ कैरियर निर्माण पर आधारित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह मानवीय मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए. व्यक्ति को समाज के सुख-दुख को अपना समझना चाहिए तभी वह वास्तविक रूप में समाज से जुड़ सकेगा. इस अवसर पर सचिव जनसम्पर्क संतोष कुमार मिश्रा सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे.

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