दरिपल्ली रमैया सच्चे पर्यावरणविद
रायपुर | संवाददाता: तेलंगाना के खम्मम के दरिपल्ली रमैया सच्चे अर्थो में पर्यारवरणविद हैं. इन्होंने खम्मम जिले में एक करोड़ पौधे लगाये हैं तथा उन्हें पेड़ बनने तक संरक्षित किया है. एक 68 वर्षीय आदमी अपने जीवनकाल में एक करोड़ पेड़ लगा सकता है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. दरिपल्ली रमैया ने प्रदूषण से तंग आकर पेड़ लगाने की सोची थी तथा वे अपने जेब में बीज एवं साइकिल पर पौधे रखकर घर से निकल पड़े थे.
उन्होंने प्रदूषण को लेकर हो हल्ला मचाने की जगह पर उससे निज़ात पाने के लिये जिसकी जरूरत है वह किया. खुद ही किया, बिना किसी सरकारी या निजी मदद के.
एक करोड़ पौधे लगाकर उसे पेड़ बनने तक संरक्षित करने में कितनी मेहनत तथा लगन लगी है उसकी तुलना आप छत्तीसगढ़ के सरकारी ‘हरिहर छत्तीसगढ़’ से कर सकते हैं. इस महाअभियान के तहत राज्य नें 10 करोड़ पेड़ लगाये जाने हैं. जिसकी शुरुआत स्वंय मुख्यमंत्री रमन सिंह ने की.
छत्तीसगढ़ में इस अभियान की शुरुआत करते हुये केन्द्रीय वन, पर्यावरण राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि पेड़ इस धरती पर प्रकृति की अनमोल रचना है. वृक्ष हमें प्राण वायु के रूप में आक्सीजन देते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत के 125 करोड़ नागरिकों से 125 करोड़ पेड़ लगाने का आव्हान किया था.
उनके आव्हान पर मात्र ढाई करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति 4 अर्थात् कुल 10 करोड़ पौधे लगाने का यह अभियान शुरू किया गया है, जो निश्चित रूप से सराहनीय है. देश के अन्य राज्यों में भी वृक्षारोपण के लिए काफी उत्साह देखा जा रहा है.
जाहिर है कि दावे के अनुसार छत्तीसगढ़ में सरकारी मदद से पूरी जनता मिलकर 10 करोड़ पेड़ लगायेगी. औसतन प्रत्येक छत्तीसगढ़ का वासी 4 पेड़ लगायेगा. दूसरी तरफ अकेले दरिपल्ली रमैया ने बिना किसी मदद के खुद 1 करोड़ पेड़ लगा चुके हैं तथा उसके बाद भी वे रुके नहीं हैं. उनका जेब में बीज तथा साइकिल पर पौधा लेकर निकलना जारी है.
यदि देश की जनता दरिपल्ली रमैया से सीख लेकर पेड़ लगाने लगे तो हमारे देश में न तो प्रदूषण रहेगा न ही पानी की समस्या पैदा होगी.
दरिपल्ली रमैया, तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के एक छोटे से गांव के रहनेवाले हैं. पर्यावरण में आ रहे बदलाव, बढ़ते प्रदूषण और पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई से दरिपल्ली का मन हमेशा बेचैन रहता था. वह इस समस्या के समाधान के लिए कुछ करना चाहते थे. फिर क्या! वह रोज इसी सोच के साथ जेब में बीज और साइकिल पर पौधे रख कर जिले का लंबा सफर तय करते और जहां कहीं भी खाली भूमि दिखती, वहीं पौधे लगा देते.
रमैया की इस लगन का नतीजा यह हुआ कि आज की तारीख में इस जिले के हजारों हेक्टेयर भूमि में विस्तृत वन क्षेत्र विकसित हो चुका है, जिसे राज्य की सरकार ने संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है़.
अभी हाल ही में एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट किया है जिसे यहां पर शेयर किये बिना दरिपल्ली रमैया को नहीं समझा जा सकता है.
Posted by Satyaprakash Mishra on Thursday, April 7, 2016