बैंक घोटाले पर फिर बरसी कांग्रेस
रायपुर: कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर दुहराया है कि छत्तीसगढ़ के सहकारी बैक घोटाले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है.पुलिस ने खातेदारों के प्रति सही जांच का दायित्व नही निभाया. पुलिस अब नार्को टेस्ट को एडमिसीबल नही बोलकर अदालती प्रकरण को कमजोर बनाने की कुचेष्टा कर रही है.
प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रम समन्वयक भूपेश बघेल, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष धनेन्द्र साहू,पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि सहकारी बैंक घोटाले की आरोपी फरारी में रीता तिवारी को जगदलपुर में सरकार की सरपरस्ती में रखा गया था. वैसे भी बस्तर से इंदिरा प्रियदर्शनी बैक घोटाले के तार जुडे हुये है. कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि जिन लोगों को इंदिरा प्रियदर्शनी बैक मामले में लोन दिया गया उनकी सूची सार्वजनिक की जाये. नेताओं ने जानना चाहा है कि सरकार ने उनसे वसूली के लिये अब तक क्या किया ? वसूली की कार्यवाही किस स्टेज में है ?
कांग्रेस नेताओं ने अपने बयान में कहा है कि दो दिन पहले तक भाजपा सरकार ने नागरिक सहकारी बैक की तत्कालीन अध्यक्ष रीता तिवारी को पीडित पक्ष के रूप में प्रस्तुत किया था लेकिन 26 जुलाई को पुलिस द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति कहती है कि रीता तिवारी और उमेश सिन्हा ने मिलकर षडयंत्र किया. यही बात नार्को टेस्ट में भी तो सामने आई थी. यह बेहद गंभीर और आपत्तिजनक है कि केवल रमन सिंह और 4 मंत्रियों के करोडो रूपये लेने वाली बात को छिपाने के लिये नार्को टेस्ट की सीडी को जनता से, मीडिया से, जिस अभियुक्त का नार्को टेस्ट हुआ उससे भी और न्यायालय से भी छिपाया गया. पुलिस की इस विज्ञप्ति में उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट में कही गई 100 में से 90 बातों पर सहमति जतायी गयी है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री रमन सिंह और 4 मंत्रियों के द्वारा ली गयी करोडों की राषि के विषय में पुलिस की यह विज्ञप्ति जानबूझकर मौन है. ठीक उसी तरह जैसे पुलिस का दूसरा चालान भी नार्को टेस्ट के विषय में मौन था.
नेताओं ने अपने बयान में कहा है कि पुलिस विभाग को यह स्पष्ट करना चाहिये था कि नार्को टेस्ट हो जाने के बावजूद चालान में 7.7.2007 को हुये नार्को टेस्ट का उल्लेख क्यों नही किया गया? न्यायालय के आदेष से करवाया गया नार्को टेस्ट की रिपोर्ट न्यायालय में ही प्रस्तुत क्यों नही की गई? जिस अभियुक्त उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट हुआ उसे ही नार्को टेस्ट की कापी क्यो नही दी गई ? नार्को टेस्ट में अभियुक्त द्वारा की गयी स्वीकारोक्ति को पुलिस ने किस आधार पर नकारा है यह स्पष्टीकरण पुलिस ने अपने बयान में नही दिया है.
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उमेश सिन्हा ने कभी नही कहा कि नार्को टेस्ट एडमिसीबल साक्ष्य नही है लेकिन जिस पुलिस के नार्को टेस्ट कराया, वही कह रही है कि उमेश सिन्हा की नार्को टेस्ट की रिपोर्ट एडमिसीबल नही है. नार्को टेस्ट की रिपोर्ट एडमिसीबल नही है, नही थी तो नार्को टेस्ट कराया क्यों गया ? नार्को टेस्ट कराया तो अभियुक्त के खिलाफ इतने पुख्ता प्रमाण को स्वयं पुलिस क्यों नकार रही है ? नार्को टेस्ट की रिपोर्ट के साक्ष्य पर जानबूझकर पुलिस ने आगे जांच नही की.
इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैक मर्यादित की अध्यक्ष रीता तिवारी पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुये कांग्रेस नेताओं ने कहा कि रीता तिवारी के सहयोग से बैंक प्रबंधक उमेश सिन्हा व नीरज जैन नामक व्यक्ति ने घोटाले को अंजाम दिया. पुलिस विवेचना अधिकारी व विशेष अनुसंधान टीम के सदस्य एलबीके श्रीवास्तव द्वारा बैंक घोटाले के न्यायालय में प्रस्तुत किए गए चालान में करोडों रूपये के घोटाले में फर्जी तौर पर ऋण स्वीकृति के लिए बैंक की अध्यक्ष रीता तिवारी की संलिप्तता का खुलासा किया गया है.
नेताओं ने कहा कि दरअसल उक्त घोटाले में फर्जी तौर पर ऋण स्वीकृति भी कडी है. इनका दायित्व था कि ऋण प्रकरणों की स्वीकृति बैंक के नियमों के अनुरूप हो. इसका पालन तो नही किया गया, अलबत्ता बैंक प्रबंधक उमेष सिन्हा व नीरज जैन पिता प्रेमचंद जैन जगदलपुर से मिलीभगत कर 17.50 करोड रूपये ऋण कैष क्रेडिट लिमिट स्वीकृत कर दिया. इस कार्य में नीरज जैन के साथ नौ और लोग शामिल थे.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस ऋण की सुरक्षा निधि के रूप में कुल 492 एफडीआर जमा कराया गया, जिसकी कीमत 18 करोड 7 लाख रूपये थी. उक्त सभी एफडीआर कुल 196 व्यक्तियों के नाम पर फर्जी तरीके से खुलावाए गए एवं बचत खातों की औपचारिकताएं आरोपी द्वय बैंक प्रबंधक उमेश सिन्हा एवं नीरज जैन द्वारा की गई.