रेल बजट पर उम्मीदें धरी रह गईं
बिलासपुर | संवाददाता: सदानंद गौड़ा छत्तीसगढ़ की जनता को क्या देंगे ? मंगलवार को मोदी सरकार का पहला रेल बजट आने से पहले इस मुद्दे पर कई अटकलें लगती रहीं. छत्तीसगढ़ को इस रेल बजट में कौन सी नई गाड़ियां मिलने वाली हैं तथा किन गाड़ियों के फेरे बढ़ने वाले हैं, ऐसे आंकलन कल शाम से ही ज़ारी थे. लेकिन उम्मीदें धरी रह गईं.
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ रेलवे नेता रवि बनर्जी का मानना था कि अभी तक जोन द्वारा मांगे गये पुराने प्रस्तावों को ही पूरा नहीं किया गया है, इसलिये इस रेल बजट से क्या उम्मीद की जा सकती है. रवि बनर्जी का कहना था कि हो सकता है कि दक्षिण की ओर छत्तीसगढ़ से जाने वाले ट्रेनों के फेरे में इजाफा किया जाये.
वहीं, छत्तीसगढ़ के कृषि तथा सामाजिक कार्यकर्ता आनंद मिश्रा सवाल करते नजर आये कि रेल बजट से छत्तीसगढ़ की जनता को क्या मिलता रहा है, इस पर विचार किया जाना चाहिये. उनका कहना था कि अभी तक छत्तीसगढ़ में रेल का विकास, जनता के लिये नहीं वरन् उद्योगों के लिये होता आया है.
आनंद मिश्रा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा के विश्रामपुर से अंबिकापुर तक के 22 किलोमीटर रेल लाइन को बिछाने में 32 साल लग गये. वह भी कोयले के परिवहन के लिये किया गया है, अन्यथा अंबिकापुर से कितनी यात्री गाड़िया दिन भर में बिलासपुर तक चलती है.
बस्तर को रेल सेवा से जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जगदलपुर आज भी छत्तीसगढ़ की अपेक्षा विशाखापट्टनम से ज्यादा जुड़ा हुआ है. इसका कारण है कि बैलाडीला से खनिज का परिवहन करना है. कोरबा के बारे में भी उनका सवाल था कि वहां भी कोयले के परिवहन के लिये रेल सेवा प्रारंभ की गई है.
बिलासपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर खड़े एक दैनिक यात्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ की न्यायधानी से राजधानी आने-जाने के लिये आज भी स्लीपर बोगी की ही सवारी करनी पड़ती है. जिसमें हमेशा फाइन लगने का डर बना रहता है. उस यात्री ने कहा कि सुबह के वक्त रायपुर जाने वाले गाड़ियों के जनरल बोगी में पैर रखने की भी गुंजाइश नहीं होती है.
उस यात्री ने बताया कि ले देकर एक जनशताब्दी चलती है, उसमें भी मासिक टिकट से यात्रा करने नहीं दिया जाता. उन्होंने कहा कि यह बेहतर होगा कि रायगढ़ से दुर्ग तक इस ट्रेन में मासिक टिकट की इजाजत दे दी जाये.
एक अन्य यात्री का कहना था कि रायपुर से बिलासपुर के बीच दैनिक यात्रियों के लिये एक सुपरफास्ट ट्रेन चलनी चाहिये. कुछ यात्री इस बात से भी दुखी थे कि शाम साढ़े आठ बजे के बाद बिलासपुर से रायपुर के लिये कोई ट्रेन नहीं है. यह भयावह है.
ज़ाहिर है, इन तमाम यात्रियों के हिस्से इस बजट में निराशा ही हाथ लगी है. उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला, जो उनकी उम्मीदों को पूरा कर सके.