राहुल की अलीगढ़ रैली
लखनऊ | एजेंसी: कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की जिस तरह से अलीगढ़ में आनन-फानन में जनसभा होने जा रही है, उसे सियासी जानकार पार्टी की दूरगामी रणनीति का एक अहम हिस्सा मान रहे हैं. पार्टी का दावा है कि खाद्य सुरक्षा कानून से देश के 84 करोड़ लोगों को जहां भोजन की गारंटी मिली है, वहीं भूमि अधिग्रहण कानून किसानों की औने-पौने दामों पर जमीन अधिग्रहीत किए जाने से रोकेगा. साथ ही किसानों को उनकी जमीन का वाजिब मूल्य और परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिल सकेगी. राहुल गांधी की अलीगढ़ में जनसभा इसी से जुड़ी है.
दरअसल, 2010 में टप्पल टाउनशिप के लिए जमीन देने वाले किसान नोएडा के बराबर मुआवजा मांगने के लिए आंदोलित हुए थे और 14 अगस्त 2010 को पुलिस प्रशासन से विवाद के बाद हुए खूनी संघर्ष में इस आंदोलन में पांच लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस घटना के बाद राहुल गांधी ने नोएडा से अलीगढ़ तक पद यात्रा की और टप्पल के जिकरपुर में तीन दिन का प्रवास किया था. इसके बाद हुई महापंचायत में उन्होंने किसानों से खुले मंच पर राय मांगी थी और भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन करा कर नया कानून लागू कराने का वादा किया था.
27 सितंबर को नए भूमि अधिग्रहण बिल पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी मुहर लगा कर पास कराने के बाद राहुल अब अलीगढ़ आकर किसानों को यही संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस किसानों ही हितैषी है.
कांग्रेस रणनीतिकारों के मुताबिक, पार्टी शासित राज्यों हरियाणा और दिल्ली में भूमि अधिग्रहण कानून लागू करके कांग्रेस दूसरे सियासी दलों से बेहतर स्थिति में है. खास तौर से उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे अब तक लागू नहीं किया है, इसलिए पार्टी इसे अभी अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. इसीलिए आनन फानन में राहुल गांधी की अलीगढ़ में जनसभा रखी गई है.
पार्टी जानती है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उसकी मुश्किलें पहली से ज्यादा बढ़ी हुई हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कार्यशैली को लेकर विपक्ष पहले ही हमलावर है, वहीं भाजपा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद और आक्रामक हो गई है, ऐसे में जनता के बीच जाने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून के साथ खाद्य सुरक्षा बिल काफी असरदार हो सकता है और जब इसकी उपयोगिता राहुल गांधी स्वयं जनभाओं मंे बताएंगे तो पार्टी के पक्ष में माहौल बन सकता है.