नेट निरपेक्षता पर घिरी सरकार
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राहुल गांधी ने संसद में इंटरनेट की निरपेक्षता के पक्ष में आवाज़ उठाई. नेट निरपेक्षता के सवाल पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार इंटरनेट पर उद्योगपतियों का एकाधिकार कायम करने के लिये जुटी हुई है. राहुल गांधी के साथ सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी केन्द्र सरकार को कटघरे में कढ़ा कर दिया. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पर इंटरनेट निरपेक्षता के मामले में उद्योगपतियों के हित में काम करने का आरोप लगाया, वहीं सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि उनकी सरकार इंटरनेट को मुक्त और निष्पक्ष रूप से लोगों तक पहुंचाने के पक्ष में है.
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए राहुल ने कहा, “प्रत्येक युवा के पास नेट का अधिकार होना चाहिए. लेकिन सरकार इसे कुछ कॉरपोरेट को सौंपने की कोशिश कर रही है.”
उन्होंने आरोप लगया कि इंटरनेट पर कुछ कॉरपोरेट का वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने नेट निरपेक्षता के लिए एक अलग कानून बनाने की मांग की.
उन्होंने कहा, “मैं सरकार से कानून को बदलने का अनुरोध करूंगा या नेट निरपेक्षता को सुनिश्चित करने के वास्ते नया कानून बनाने की मांग करूंगा.”
उन्होंने कहा, “यदि सरकार नेट निरपेक्षता को बनाए रखना चाहती है, तो उसने परामर्श की शुरुआत क्यों की है. सरकार लोगों को यह परखना चाहती है कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी होती है. हम बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताते हैं, ताकि इस प्रक्रिया को बंद किया जाए.”
राहुल को इस मुद्दे पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नए महासचिव सीताराम येचुरी का भी समर्थन मिला. येचुरी ने कहा, “मुझे लगता है कि हमारी ऐसी एकमात्र पार्टी है, जिसने राष्ट्रीय महासभा में एक प्रस्ताव पारित किया है.”
राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि यह ठीक है कि कांग्रेस नेता ने मुद्दे को उठाया.
उन्होंने कहा, “उन्हें सरकार के खिलाफ कटाक्ष नहीं करना चाहिए था.”
वहीं रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “सरकार इंटरनेट पर युवाओं की सक्रियता को बढ़ावा देती है. हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमें बिना किसी पक्षपात के नेट उपलब्ध कराना है.”
उन्होंने हमें मोबाइल गवर्नेस सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.
प्रसाद ने कहा, “हम हर किसी को नेट उपलब्ध कराना चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “न हमारी सरकार कॉरपोरेट के दबाव में है और न रहेगी.”
प्रसाद ने कहा कि भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकरण, ट्राई के पास चर्चा का अधिकार है, सरकार के पास फैसले का अधिकार है.
उन्होंने कहा, “हम हर किसी को इंटरनेट उपलब्ध कराना चाहते हैं. हमने दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.”
नेटवर्क निरपेक्षता तकनीकी जटिलताओं से घिरी वैश्विक अवधारणा है. इसका संबंध इंटरनेट के सेवा शुल्क से है. फोन कंपनियां और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी ग्राहकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इंटरनेट को नियंत्रित कर सकते हैं.
ट्राई ने मार्च में एक पेपर जारी किया था, जिसमें इंटरनेट उपयोगकर्ताओं व कंपनियों से टिप्पणी मांगी गई थी कि ओवर द टॉप सेवाओं को देश में किस प्रकार नियंत्रित किया जाना चाहिए. हितधारकों को 24 अप्रैल तक सुझाव देने के लिए कहा गया है, जबकि जवाबी तर्क आठ मई तक सौंपना होगा.