बदले-बदले से सरकार नजर आते हैं…
विश्वेश ठाकरे | फेसबुक: छत्तीसगढ़ भवन में बैठे हम 16 (संख्या इसलिए याद है कि स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप के अधिकारियों ने कई बार हम लोगों की गिनती की थी और बकायदा हाजिरी भी ली थी) लोग सोच रहे थे कि ये मुलाकात महज पांच-दस मिनट की, स्वागत-धन्यवाद जैसी होगी. ना वो ज्यादा कुछ कहेंगे और ना हमें ज्यादा कुछ पूछने का समय मिलेगा.
इस सोच के पीछे दरअसल हमारा पूर्वाग्रह और पहले एकाध बार हुई छोटी सी मुलाकात थी. हम सभी 16, वर्षों से मीडिया के बड़े अनुभव का अहम पाले अपनी सोच के प्रति आश्वस्त थे, लेकिन इंडियन नेशनल कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी ने हमारे सभी पूर्वाग्रहों को, उनके प्रति हमारी सोच को ध्वस्त कर दिया. 53 मिनट चली इस मुलाकात में एक नए राहुल गांधी सामने आए. हार की परवाह नहीं करते हुए, आत्मविश्वास से भरे, सवालों के सटीक जवाब देने वाले एक सुलझे हुए राजनेता. जिन्हें कांग्रेस की संस्कृति मालूम है, जिन्हें कांग्रेस की ताकत मालूम है और जिन्हें कांग्रेस की कमजोरियां मालूम है.
हमें लगा प्रधानमंत्रियों के परिवार का यह वारिस छत्तीसगढ़ की 45 डिग्री सेल्सियस धूप से परेशान हो गया है, लिहाजा पहला सवाल था “ कैसा लग रहा है 45 डिग्री में?”
मुस्कुराते हुए जवाब आया “अब मुझे हीट-शीट से फर्क नहीं पड़ता, आदत हो गई है” और वाकई 53 मिनट की मुलाकात में हमें गर्मी ने परेशान कर दिया, लेकिन राहुल पूरे समय उर्जा से भरे, पूरे इन्वाल्व होकर बातचीत में लगे रहे. उन्होंने बुलाया तो था अनौपचारिक चर्चा के लिए, लेकिन जहां संपादक और पत्रकार हों और राहुल गांधी हों तो उस चर्चा को प्रेस कान्फ्रेंस बनने से कौन रोक सकता है.
चर्चा बेहद हल्के-फुल्के अंदाज में सीएम डाक्टर रमन सिंह के उस ट्विट से शुरू हुई जिसमें उन्होंने कहा था, कि राहुल विकास का क,ख,ग सीखने छत्तीसगढ़ आ रहे हैं. इस ट्विट का जिक्र एक तरह से राहुल को छेड़ने के लिए ही किया गया था, लेकिन जो जवाब उधर से आया उसकी कल्पना नहीं की गई थी…उन्होंने कहा “ हां…सीएम बिलकुल ठीक कह रहे हैं मैं सीखने के लिए ही आया हूं, मैं हर समय सभी से कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करता हूं, किसान से मिलता हूं तो सीखता हूं, डाक्टर से मिलता हूं तो सीखता हूं, दरअसल पूरी कांग्रेस ही सीखने की कोशिश करती है, लेकिन भाजपा ऐसा नहीं करती, वह सिर्फ अपनी बात करती है, उसको लगता है कि उन्हें पूरा ज्ञान मिल गया है.”
अब थोड़ा कठिन सवाल उनकी ओर उछाला गया, जो छत्तीसगढ़ के लिए कांग्रेस की दुखती रग भी है. पूछा गया “ यहां कांग्रेस टूट गई है, अजीत जोगी ने दूसरी पार्टी बना ली.”
जवाब में हमसे ही सवाल पूछ लिया गया “ क्या, आपको लगता है कांग्रेस टूट गई है, कांग्रेस नहीं टूट सकती, हां, अजीत जोगी कांग्रेस से अलग हो गए हैं और अलग हो गए तो अच्छा है, कांग्रेस को अपार्च्युनिस्ट नेता नहीं चाहिए. ऐसे लोग नहीं चाहिए जो लड़ाई के समय पीठ दिखाते हैं. उनको रिवर्ट करने का अब कोई सवाल ही नहीं है, मुझे ऐसा ही गुजरात में वाघेला के पार्टी छोड़ते समय बताया गया था कि वाघेला इतने बड़े नेता हैं, उनके पार्टी छोड़ने से ऐसा हो जाएगा, वैसा हो जाएगा, लेकिन उन्हें चुनाव में महज 28 हजार वोट मिले.” इस जवाब के साथ ही उन्होंने कांग्रेस के लिए जोगी चेप्टर क्लोज कर दिया.
डाक्टर रेणु जोगी के अभी भी कांग्रेस में होने को राहुल ने खूबसूरती से कांग्रेस की ह्यूमिनिटी के साथ जोड़ दिया. उन्होंने कहा “आप कह रहे हैं डाक्टर रेणु जोगी कांग्रेस में हैं, हां हैं, ये कांग्रेस की मानवता है कि वो किसी को मंच से नहीं उतारती, जब समय आएगा तो उनके रास्ते अलग हो जाएंगे, लेकिन हमारे में मानवता बची हुई है. दरअसल भारत के हर नागरिक में मानवता है, यदि आप किसी को नुकसान पहुंचाओगे तो आप को कहीं ना कहीं हर्ट होगा, लेकिन आप जर्मन के नाजी सैनिकों से पूछते कि उन्हें लोगों की हत्या करते हुए कुछ महसूस होता है क्या, तो कहते- कोई फर्क नहीं पड़ता, ये मानवता का संस्कार भारतीय संस्कृति है.”
उन्होंने कहा कांग्रेस आम आदमी की पार्टी है, भाजपा और कांग्रेस की विचारधारा में मूल फर्क यही है कि भारतीय जनता पार्टी के पास यदि कोई जाता है तो वो उसकी स्वतंत्र विचारधारा छीन लेती है, अपनी विचारधारा थोपती है, जबकि कांग्रेस के पास कोई आता है तो वह अपने विचारों को बताने, उनके साथ काम करने की स्वतंत्रता रखता है. देश की अखंडता और सम्प्रभुता के लिए उन्होंने भाजपा को खतरा बताया और कहा “ भारतीय जनता पार्टी ने अपनी विचारों को पूरे देश पर थोपना शुरू किया है, उनका मानना है कि जो उनके विचार नहीं मानता वह देशद्रोही है, ये बड़ा खतरा है, क्योंकि भारत का ढांचा अलग अलग प्रांतों से मिलकर बना है, उनकी अपनी संस्कृति है, विचार है. यदि उन पर आरएसएस, भाजपा अपने विचार थोपेगी तो विद्रोह होगा, दक्षिण के बड़े लीडर स्टालिन ने तो उनसे कहा था, कि यदि भाजपा हमें अपने विचार मानने पर मजबूर करेगी तो हम आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार होंगे.”
राहुल ने कहा- अभी माहौल ऐसा है कि हम सब एक बड़ी जेल में हैं. उन्होंने कांग्रेस को आम आदमी की पार्टी बताया और कहा कि ये शिवजी की बारात जैसी है, जो चाहे इसमें आ सकता है, नाच सकता है.
भाजपा को हराने के सवाल पर भी वे आत्मविश्वास के साथ बोले कि “ भाजपा अपने एटिट्यूड के कारण हारेगी, वह अपने घमंड में सहयोगियों की चिंता नहीं कर रही है, इसलिए उससे चंद्राबाबू नायडू जैसे लोग अलग हो रहे हैं, शरद यादव ने मुझसे कहा था, कि हम 50 साल तक कांग्रेस के खिलाफ लड़े, लेकिन अब चार साल में ही ऐसा लगने लगा है कि कांग्रेस की सरकार तो बहुत अच्छी थी. भाजपा हारेगी, विपक्ष एकजुट होगा और भारतीय जनता पार्टी हारेगी.”
ऐसे ही कई सटीक जवाब, पूरे तर्क के साथ देकर राहुल ने पूरे 53 मिनट धाराप्रवाह अपनी बात रखी. ना तो उनके चेहरे पर गुजरात, कर्नाटक चुनाव में हार की निराशा थी और ना ही भीषण गर्मी में लगातार कर रहे दौरे की थकान. उन्होंने कहा कि वे लगातार पढ़ रहे हैं. सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू के पत्र, पुस्तकें. उनके दिए संदर्भों से लग भी रहा है कि वे पढ़ रहे हैं और बढ़ रहे हैं…इससे पहले भी 17 मई को जब उन्होंने कोटमी में जंगल सत्याग्रह की बड़ी सभा को संबोधित किया तो जिस पीड़ा के साथ जल, जंगल, जमीन की बात की, उससे लगा कि भारत के सतत दौरे उन्हें असली भारत के करीब ला रहे हैं. पांच साल पहले के राहुल और आज के राहुल में जो फर्क दिख रहा है उसे इन शब्दों के साथ समझा जा सकता है कि उनमें इंदिरा गांधी की आक्रामकता और राजीव गांधी की सौम्यता एक साथ दिखाई दे रही है…ये भारत के लिए, यहां के लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है.