पुष्प स्टील निदेशक को सम्मन
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: विशेष अदालत ने छत्तीसगढ़ की पुष्प स्टील के निदेशक अतुल जैन को 3 अगस्त को पेश होने के लिये कहा है. इस सिलसिले में विशेष अदालत ने उन्हें सम्मन जारी किया है. इसी के साथ विशेष अदालत ने पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता को भी पुष्प स्टील को कोल ब्लॉक आवंटित किये जाने के कारण सम्मन भेजा है. विशेष अदालत ने कोयला खंड आवंटन घोटाले के एक मामले में पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता और दिल्ली की कंपनी पुष्प स्टील एण्ड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक अतुल जैन को सम्मन जारी किया है.
विशेष अदालत के जज भरत पाराशर ने सीबीआई के आरोप पत्र का संज्ञान लिया है. ये आरोप पत्र छत्तीसगढ़ में कोय़ला खंड के आवंटन में कथित अनियमितता संबद्ध है. अदालत ने आरोपियों को तीन अगस्त को पेश होने को कहा है.
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 20 मई को पुष्प स्टील केस में चार्जशीट दायर की थी जिस पर अप्रैल 2013 को एफआईआर दर्ज की गई थी.
सीबीआई का आरोप है कि पुष्प स्टील ने छत्तीसगढ़ के कांकेर में कोल ब्लॉक लेने के लिये गलत जानकारी दी थी. सीबीआई ने इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ के रायपुर, दिल्ली तथा गजियाबाद में पुष्प स्टील के ऑफिस तथा फैक्टरी में छापा मार कर जांच की थी. इसके अलावा इसके निदेशक अतुल जैन तथा संजय जैन के निवास की भी तलाशी ली गई थी.
पुष्प स्टील पर आरोप है कि कंपनी को छत्तीसगढ़ सरकार के अनुशंसा पर कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था जबकि कंपनी के पास खनन शुरु करने के लिये न तो पर्याप्त मात्रा में पूंजी थी न ही उसे इस कार्य का कोई अनुभव था. पुष्प स्टील पर आरोप है कि उसके पास स्टील निर्माण का भी कोई अनुभव नहीं है तथा कंपनी की कुल जमा संपत्ति 3.01 करोड़ रुपये है.
पुष्प स्टील के खिलाफ आईपीसी की सेक्शन 120-B (आपराधिक षडयंत्र रचने) तथा सेक्शन 409 (लोक सेवक द्वारा अमानत में खयानत) का चार्जशीट दायर किया गया था.
गौरतलब है कि पुष्प स्टील ने 2004 में छत्तीसगढ़ सरकार के साथ 384 करोड़ रुपए के निवेश का करार किया. ये करार स्पांज आयरन प्लांट बनाने के लिए था. इसके लिए कंपनी ने 11 हेक्टेयर जमीन खरीदी और चीन की एक कंपनी को मशीनरी के लिए 22 लाख रुपए का एडवांस दिया.
अचरज की बात यह है कि 384 करोड़ के प्लांट की मशीनरी के लिए 22 लाख रुपए का एडवांस. कंपनी का कुल निवेश 1 करोड़ 20 लाख था. लेकिन इसी आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 2005 में कंपनी को कच्चे लोहे के लिए माइनिंग लीज और प्रोस्पेक्टिव लीज दे दी.
उल्लेखनीय है कि 20 जुलाई 2010 को दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस कंपनी का गठन 2 जून 2004 को हुआ और इसी दिन दिल्ली से हजार किलोमीटर दूर कांकेर में इस कंपनी ने कच्चे लोहे की खदान के लिए आवेदन भी कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ये कैसे संभव है. आवेदन में न तो तारीख लिखी गई और ना ही कंपनी से जुड़े कोई कागजात लगाए गए. जबकि नियमों के मुताबिक आवेदन करने वाली कंपनी को पिछले साल के इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी लगानी जरुरी है.