शक्कर फैक्ट्री नीलामी का विरोध, 800 ट्रैक्टर लेकर पहुंचे किसान
मुरैना|संवाददाताः मध्य प्रदेश के मुरैना में कैलारस शक्कर कारखाने की भूमि नीलामी के विरोध में किसानों ने मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को किसान इसके विरोध में सत्याग्रह और जेल भरो आंदोलन करने लगभग 800 ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर पहुंचे थे. किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए फिलहाल नीलामी प्रक्रिया को रोक दी गई है.
इसके बाद कलेक्टर अंकित अस्थाना ने किसानों को आश्वासन दिया है कि शक्कर कारखाने को दोबारा शुरू किया जाएगा.
जिस पर किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने वादाखिलाफी की तो 26 जनवरी से दोबारा प्रदर्शन किया जाएगा.
दरअसल मंगलवार को शक्कर फैक्ट्री की कृषि भूमि की नीलामी होनी थी. सुबह करीब 10.30 बजे नीलामी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी.
जमीन खरीदने के लिए पांच खरीददारों ने बोली लगाने के लिए 5 लाख रुपए की राशि जमा की थी.
लेकिन बोली लगाने से पहले ही किसानों का विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए नीलामी के लिए जिन प्रतिभागियों ने राशि जमा की थी उन्होंने अपने नाम वापस ले लिए. जिसके बाद नीलामी रोक दी गई.
13 साल से बंद पड़ा है शक्कर कारखाना
बता दें कि कैलारस का शक्कर कारखाना 13 साल से बंद पड़ा है.
अब सरकार कारखाने की भूमि को नीलाम कराने का फैसला लिया है.
जिसका वहां के किसान और शक्कर कारखाना बचाओ संघर्ष समिति विरोध कर रही है.
किसान चाहते हैं कि शक्कर कारखाना दोबारा चालू किया जाए.
सरकार के इस फैसले के विरोध में कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय के नेतृत्व में मंगलवार को सत्याग्रह और जेल भरो आंदोलन’ करने का निर्णय लिया गया था.
इसके लिए किसान 800 ट्रैक्टर-ट्रॉली पर सवार होकर किसान ऑक्सफोर्ड स्कूल के पास धरनास्थल के लिए निकले.
इस बीच पुलिस ने किसानों को बीच रास्ते पर ही रोक दिया. जिससे किसान आक्रोशित हो गए और वहीं पर प्रदर्शन शुरू कर दिया.
इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे विधायक पंकज उपाध्याय समेत 25 लोगों को हिरासत में लिया.
विधायकों ने सरकार पर लगाए कई आरोप
विधायक पंकज उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि किसानों के लंबे समय से चल रहे धरने के बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. जबकि केंद्र सरकार ने बंद पड़े कारखानों को दोबारा चालू करने के लिए 10 करोड़ रुपए के प्रावधान किए हैं, लेकिन राज्य सरकार कैलारस शक्कर कारखाने को चालू करने की कोई पहल नहीं की.
वहीं अंबाह विधायक देवेंद्र रामनारायण सखवार का कहना है कि प्रदेश सरकार केवल निवेश मीट पर ध्यान दे रही है. स्थानीय उद्योगों को पुनर्जीवित करने की ओर कोई कदम नहीं उठाया गया.
पूर्व विधायक मनीराम धाकड़ और बैजनाथ कुशवाहा का कहना है कि शक्कर कारखाने के साथ एथेनॉल और अन्य उत्पादों के प्लांट लगाए जा सकते हैं, जिससे किसानों और युवाओं को आर्थिक लाभ मिलेगा.