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साइकिल संस्कृति को बढ़ावा दे

साइकिल संस्कृति के मामले में भारत दुनिया के अन्य देशों से काफी पीछे है. साइकिल चलाने से न तो प्रदूषण फैलता है और न ही इसमें पेट्रोल या डीजल डालने की जरूरत होती है. शरीर तंदरुस्त रहता है वह अलग. एक तबका है जो अपनी जरूरत के हिसाब से साइकिल का उपयोग करता है लेकिन अधिकांश लोग इससे अभी भी कटे हुए हैं. ऐसे में लोगों को साइकिल संस्कृति में लाने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है. यह कहना है कि भारत में स्कॉट इंडिया लिमिटेड के प्रमुख जयमीन शाह का, जो शिद्दत से देश में साइकिलिंग को प्रोमोट करने में लगे हुए हैं.

जयमीन खुद साइकिल चलाते हैं और इससे होने वाले फायदों से वाकिफ हैं. साथ ही वह अपनी कम्पनी के हर एक कर्मचारी के लिए साइकिल चलाना अनिवार्य कर चुके हैं. इसके अलावा स्कॉट इंडिया कम्यूनिटि सर्विस के तहत साइकिल के उपयोग और इसके फायदे के लिए देश भर में अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करती है.

विश्व में साइकिल निर्माण की अग्रणी कम्पनियों में से एक स्कॉट की भारतीय इकाई ने एक स्कॉट ओनर्स क्लब बना रखा है, जो साइकिलिंग को प्रोमोट करने का काम करता है. यह क्लब में स्कॉट साइकिल चलाने वालों का बहुतायत है लेकिन जयमीन की कम्पनी ऐसे लोगों को भी प्रोत्साहित करती है, जो किसी भी मॉडल के साथ साइकिलिंग की ओर रुख करना चाहते हैं.

जयमीन ने 19 अप्रैल को विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर दिये साक्षात्कार में कहा, “जहां तक साइकिल को प्रोमोट करने की बात है तो हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी पीछे हैं. इसका कारण यह है कि हमारे पास इससे जुड़ी मूलभूत सुविधा नहीं है लेकिन अच्छी बात यह है कि हम इस दिशा में सोचने लगे हैं.”

शाह के मुताबिक देश में साइकिलिंग को प्रोमोट करने के लिए एक विशेष तरह की जागरुकता की जरूरत है. लोगों को यह समझना होगा कि साइकिलिंग के क्या फायदे हैं और एक साइकिल चालक को रास्तों पर सुरक्षित चलने का पूरा अधिकार होता है. इस दिशा में सरकारों को भी काम करना होगा.

बकौल जयमीन, “ट्रक चालकों, बस चालकों और कार चालकों को यह समझना होगा कि एक साइकिल चालक को भी रास्तों पर चलने का उतना ही अधिकार है, जितना उनका है. एक चार लेन के हाइवे पर बाईं ओर साइकिल चालक के लिए रास्ता होना चाहिए क्योंकि इस ओर कम गति के वाहन चलते हैं. इस तरह की सुविधा साइकिल चालकों को मिलनी चाहिए, तब ही देश में साइकिलिंग को प्रोमोट किया जा सकता है.”

बकौल जयमीन, “हमारे हर एक कर्मचारी के पास साइकिल है और हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कम से कम सप्ताह में तीन दिन हमारे कर्मचारी साइकिल से जरूर दफ्तर आएं. और कम्पनियों के साथ कई दिक्कतें है क्योंकि जब आप साइकिल से दफ्तर आने की आदत को प्रोमोट करना चाहते हैं तो आपको कर्मचारियों को पार्किंग और शॉवर की सुविधा मुहैया करानी होती है. कारपोरेट दफ्तरों में साइकिल पार्किंग की कोई जगह नहीं होती. इससे साइकिलिंग को प्रोमोट करने में दिक्कत आ रही है.”

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