IIT राष्ट्र का ज्ञान नेता: राष्ट्रपति
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आईआईटी के अध्यक्षों, बोर्ड ऑफ गवर्नेस और निदेशकों के एक दिवसीय सम्मेलन का उद्धाटन किया. उन्होंने इस अवसर पर आईआईटी को राष्ट्र का ज्ञान नेता बताते हुए उनसे यह पता लगाने का अनुरोध किया कि शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे सुधारा जा सकता है. राष्ट्रपति ने कहा कि यह पता लगाने की आवश्यकता है कि उच्च शिक्षा के संस्थानों की शासन व्यवस्था को कौन पीछे धकेल रहा है. अगर हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों से मुकाबला करना है तो इन संस्थानों का कार्य व्यवहार विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों के बराबर होना चाहिए. उन्होंने आईआईटी की परिषद से श्रेष्ठ वैश्विक कार्य व्यवहार के अनुरूप शासन व्यवस्था के लिए रोडमेप तैयार करने को कहा.
राष्ट्रपति ने कहा कि अन्य देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की हमारी तकनीकी क्षमता के बावजूद हम अभी भी सुरक्षा संबंधी उपकरणों से लेकर भारतीय मुद्रा छापने के कागज और रक्षा उपकरणों की टेक्नोलॉजी आयात करते हैं. हमें यह देखने की आवश्यकता है कि आईआईटी द्वारा विकसित टेक्नोलॉजी और आईआईटी में भविष्य में होने वाले शोध का उपयोग देश की टेक्नोलॉजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कैसे किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि अब तक हम उद्योग तथा शिक्षा जगत के बीच आपसी संपर्को पर ध्यान देते आए हैं, लेकिन अब हमें सरकार और शिक्षा जगत के बीच संपर्क पर भी ध्यान देना होगा. आईआईटी परिषद को इस बात पर जोर देना चाहिए कि कैसे आईआईटी सरकार की टेक्नोलॉजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्रोत बनेंगे और ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेड इन इंडिया’ की दृष्टि का वाहक बनें.
राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रणाली का ढांचा चार स्तम्भों-मूल्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा आधारभूत संरचना पर खड़ा होता है. बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी की समस्या आवश्यक रुप से दूर की जानी चाहिए. देश के आईआईटी में रिक्त पदों की स्थिति 10 प्रतिशत से लेकर 52 प्रतिशत तक है और 16 आईआईटी में कुल रिक्त पदों का प्रतिशत 37 है.
उन्होंने कहा कि रैंकिंग प्रक्रिया को महत्व दिए जाने की जरूरत है. यह प्रक्रिया वास्तविक नियंत्रण तथा विश्व के नक्शे पर संस्थान की स्थिति के बारे में आत्म चिंतन करने का अवसर देती है.
राष्ट्रपति ने सभी आईआईटी से मार्च 2015 में राष्ट्रपति भवन द्वारा प्रस्तावित एक सप्ताह के खोज उत्सव में शामिल होने का आमंत्रण दिया.
सम्मेलन को प्रधानमंत्री तथा केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री ने भी संबोधित किया.