राष्ट्रपति ने बताया, कैसे आयेंगे ‘अच्छे दिन’
नई दिल्ली | एजेंसी: राष्ट्रपति ने बताये अच्छे दिनों के नुस्खे. गौरतलब है कि आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने ‘अच्छे दिन आएंगे’ का नारा देकर लोगों को गोलबंद किया, वहीं सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद संसद के पहले संयुक्त अधिवेशन में 55 मिनट तक दिए गए अपने संबोधन में इसे ‘संभव’ बनाने के लिए घरेलू मुद्दों से लेकर विदेश नीति तक में नई सरकार की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध किया.
इस मौके पर राष्ट्रपति ने संसद के केंद्रीय कक्ष में मौजूद सांसदों से कहा कि जनता को आगे रखा जाना चाहिए और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रखते हुए और ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के साथ पारदर्शी तरीके से लोगों की सेवा को शीर्ष वरीयता दी जानी चाहिए.
गरीबी उन्मूलन और महंगाई पर नियंत्रण को नई सरकार की दो तात्कालिक उच्च प्राथमिकता बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों ने एक ऐसा उज्ज्वल और समृद्ध भारत देखने की चाहत में स्पष्ट जनादेश दिया है जो वैश्विक समुदाय में अपनी सम्मानित जगह फिर से हासिल कर सके.
उन्होंने कहा, “उम्मीदों और अपेक्षाओं से भरे लोग त्वरित परिणाम चाहते हैं. हमें इन आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए उठ खड़ा होना होगा. आज से अगले 60 महीनों में हमें विश्वास और गर्व से यह कहने के लिए समर्थ होना होगा कि हमने इसे कर दिखाया.”
संवैधानिक अनिवार्यता वाले राष्ट्रपति के इस अभिभाषण में हर मंत्रालयों और विभागों से मिले सुझावों को शामिल करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चार जून को मंजूरी प्रदान की थी. अब इस पर संसद में चर्चा होगी और प्रधानमंत्री उसका उत्तर देंगे जिसके बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर मतदान कराया जाएगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों के प्रति समर्पित है. गरीबी का कोई धर्म नहीं होता है, भूख का कोई पंथ नहीं होता है और निराशा का कोई भूगोल नहीं होता. हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत में गरीबी के अभिशाप को समाप्त करना है. सरकार केवल ‘निर्धनता उपशमन’ से संतुष्ट नहीं होगी बल्कि यह ‘गरीबी का पूर्ण निवारण’ करने के लक्ष्य के प्रति वचनबद्ध है.
उन्होंने कहा कि सरकार आंतरिक सुरक्षा के मामले में, अत्यधिक सतर्कता बरतेगी. आतंकवाद, चरमपंथ, दंगा और अपराध को बिल्कुल भी न सहने की नीति अपनाई जाएगी.
उन्होंने कहा कि नार्को आतंकवाद एवं साइबर खतरों सहित आतंकवाद के नए तरीकों से निपटने के लिए राज्यों की पुलिस को, उनके ढांचे और उपस्करों के आधुनिकीकरण के लिए सहायता दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि हमारी दो तिहाई से अधिक जनता के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने के बावजूद हम इसे पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाएं और जीविका के अवसर उपलब्ध नहीं करा पाए हैं. सरकार सशक्त पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से गांवों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा कि सरकार ग्राम-शहर की संकल्पना अपनाकर, गांव की मूल प्रकृति को बरकरार रखते हुए, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराकर ग्रामीण-शहरी असमानता को दूर करने का प्रयास करेगी
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत संघीय व्यवस्था वाला देश है. लेकिन काफी वर्षो से, इसकी संघीय भावना को कमजोर किया गया है. राज्यों और केंद्र को सामंजस्यपूर्ण टीम इंडिया के रूप में काम करना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों पर राज्यों के साथ सक्रियता से कार्य करने के लिए सरकार, राष्ट्रीय विकास परिषद, अंतर्राज्यीय परिषद् जैसे मंचों को पुन: सशक्त बनाएगी. केंद्र, सहकारी-संघवाद के जरिए राज्यों की त्वरित प्रगति में सहायक बनेगा.
उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व क्षेत्र में घुसपैठ और गैर-कानूनी प्रवासियों के मुद्दे को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा तथा उत्तर-पूर्व सीमा पर बाड़ लगाने के रुके संपूर्ण कार्य को शीघ्र पूरा किया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे कि कश्मीरी पंडित अपने पूर्वजों की भूमि पर पूर्ण गरिमा, सुरक्षा और सुनिश्चित आजीविका के साथ लौटें.
विज्ञान एवं शोध को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार उच्च शोध पर ध्यान देगी और नवीन विचारों तथा इससे जुड़े सृजन को बढ़ावा देगी.
उन्होंने कहा कि सरकार नैनोटेक्नोलॉजी, मूल कोशिका और मस्तिष्क पर शोध करने के लिए विश्वस्तरीय अनुसंधान केंद्रों का निर्माण कराएगी.
उन्होंने कहा, “ग्रामीण विकास के लिए एक प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की जाएगी. हिमालय के अध्ययन के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा.”