सरगुजा का अल्ट्रा मेगापावर प्लांट रद्द
अंबिकापुर । संवाददाता: सरगुजा के अल्ट्रा मेगा पॉवर प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया गया है. सरगुजा में प्रस्तावित इस परियोजना को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल पा रही थी. हालांकि राज्य शासन ने प्रोजेक्ट रद्द होने के मामले में अनभिज्ञता जाहिर की है.
इधर छत्तीसगढ़ में ऊर्जा विभाग के सचिव अमन सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अब तक प्रोजेक्ट रद्द करने के विषय में कोई सूचना नहीं दी है. इस परियोजना के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ 5 साल पहले एमओयू हुआ था. जिसमें सरगुजा के लखनपुर इलाके में पॉवर प्रोजेक्ट प्रस्तावित था. इसके लिए जमीन के अधिग्रहण की तैयारी पूरी कर ली गई थी.
बिजली संयंत्र के लिए लगभग 2500 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया जाना प्रस्तावित था. जिसमें से पावर प्लांट के लिए 1200 एकड़, राखड़बाध के लिए एक हजार, जल संग्रहण के लिए दो सौ एवं आवासीय परिसर के लिए सौ एकड़ जमीन शामिल था. उत्पादन के लिए एक हजार 120 मिलियन टन कोयले और 135 मिलियन घनमीटर पानी की आवश्यकता होती. इस परियोजना से 11 गाँवों की कुल लगभग 9439 एकड़ जमीन में से तकरीबन 2614 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया जाना प्रस्तावित था.
इससे पहले भी कई बार पर्यावरण की मंजूरी न मिलने के कारण यह अल्ट्रा मेगापावर प्लांट शुरु नही हो पाया था. बिजली क्षेत्र के नियामक, केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के लिए कोयला खदानों में खनन का काम कोयला मंत्रालय द्वारा मंजूरी दिए जाने के 730 दिनों के भीतर शुरू हो जाना चाहिए. यह समय सीमा मार्च 2012 में ही खत्म हो चुकी है.
बताया गया कि इस परियोजना के लिए हसदेव-अरंड क्षेत्र में कोल ब्लॉक आबंटित किया गया. लेकिन 4 हजार मेगावाट की क्षमता वाले इस परियोजना के लिए कोल ब्लॉक को वन-पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल पा रही है. प्रस्तावित बिजली परियोजना के लिए कई बार टेंडर भी हुए. लेकिन तिथि आगे बढ़ा दी गई. परियोजना के लिये जरूरी कोयला जहां से खोदा जाना है वह इलाका सरगुजा के घने जंगलों में है जिससे पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दे खड़े होने की आशंका है.
बिजली मंत्रालय के सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण को नुकसान के अंदेशे से 4 हजार मेगावाट की क्षमता वाले इस प्रोजेक्ट के लिए आबंटित हसदेव आरंड कोल ब्लाकों के लिए मंजूरी नहीं दी. लेकिन योजना आयोग के सदस्य बी के चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली एक समिति ने इस नामंजूरी की वैधानिकता पर सवाल उठाए, जिसके बाद इस प्रोजेक्ट से जुड़े पर्यावरण संबंधी मसलों को निपटाने के लिए गठित मंत्री समूह ने चतुर्वेदी समिति के सुझावों को माना.
लेकिन सूत्रों का कहना है कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इन खानों में खनन की इजाजत नहीं दी है. इस परियोजना के लिए आबंटित कोयला खदानों के लिए पर्यावरण मंजूरी के अभाव में सरगुजा अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए निविदाएं आमंत्रित करने की प्रक्रिया में कई बार देर हुई.
देश में अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्टों के लिए केन्द्रीय एजेंसी पावर फाइनेंस कार्पोरेशन ने ऐसे चार प्रोजेक्ट अब तक मंजूर किए हैं. इनमें से तीन रिलायंस पावर को सासन(म प्र) कृष्णपटनम (आंध्र प्रदेश) और तिलैया झारखंड) में मिले हैं. आयातित कोयला आधारित देश के पहले ऐसे प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय निविदा के जरिये टाटा पावर ने हासिल किया है.