स्वास्थ्य

गरीबी में दिल का दौरा

लंदन | एजेंसी: एक अध्धयन से पता चला है कि दिल का दौरा भी गरीब और अमीर में भेदभाव कर सकता है. दिल का दौरा पड़ने के बाद होने वाली कमजोरी को सामाजिक-आर्थिक स्थिति से जोड़ने वाले पहले अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि दो से ज्यादा बार दिल के दौरे का शिकार हो चुके गरीबों के, अमीरों की अपेक्षा कमजोर होने की संभावना ज्यादा होती है.

तेल अवीव यूनिवर्सिटी के सेकलर फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के सार्वजनिक स्वास्थ्य विद्यालय के विकी मेयर्स ने कहा, “चिकित्सा के कई क्षेत्रों में जोड़ने वाली कमजोरी को निर्धारित करके, हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि दिल के दौरे के बाद किस इलाके के लोगों को ज्यादा खतरा है. हमने कमजोरी और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बीच बड़ा संबंध पाया.”

मेयर्स और उनके साथी प्रोफेसर येरिव गरबर ने स्वास्थ्य संबंधी ऐसे 40 चरों की सूची बनाई जो दिल के दौरों के रोगियों की कमजोरी के इलाज में कारगर हैं.

चिकित्सकीय अभिलेखों का प्रयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने इस सूची को मध्य इजराइल के ऐसे 1,151 लोगों पर लागू किया जो 10 से 13 सालों से दिल के दौरों से पीड़ित थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि दिल के दौरों के बाद एक दशक में 35 प्रतिशत रोगी कमजोर हो गए.

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकााशित अध्ययन में बताया गया कि ये रोगी कम साल शिक्षा लेने वाले, निम्न पारिवारिक आय, बेरोजगार और इजराइजल के निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग में रहने वाले लोग थे.

शोधकर्ताओं ने बताया कि ये परिणाम गरीबों के बीच स्वास्थ्य की कमजोर पहुंच को प्रतिबिंबित कर सकते हैं.

मेयर ने कहा, “कमजोरी से न सिर्फ निम्न आय वाले जुड़े हैं बल्कि, वंचितों के पड़ोस में रहने वालों में भी इसका खतरा, अमीरों के पड़ोस में रहने वालों से 60 प्रतिशत ज्यादा है.”

शोधकर्ताओं ने बताया, “हमने उच्च-जोखिम वाले समूहों के बीच दिल का दौरा पड़ने के बाद कमजोरी रोकने की पहल की सिफारिश की है.”

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