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पूनम वासम की कविताएं अमरावती विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में

रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ की चर्चित कवियत्री पूनम वासम की कविताएं अमरावती विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं.

बीजापुर की रहने वाली पूनम वासम की कविताएं, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के बीए तृतीय वर्ष में पढ़ाई जाएंगी.

पूनम वासम की कविताएं आदिवासी जीवन, संघर्ष और प्रकृति को उकेरती हैं.

लोक में रची-पगी, अपनी अनूठी भाषा शैली और शिल्प के कारण पूनम वासम की कविताओं ने हिंदी साहित्य जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है.

उनकी कविताओं में बस्तर के लोक की झलक तो मिलती ही है, बस्तर का दर्द भी उभर कर सामने आता है.

कविता संग्रह बेहद चर्चित

पिछले कई सालों से पूनम, देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं.

लोक को केंद्र में रख कर रची गई उनकी कविताओं में वस्तुतः बस्तर का पूरा भूगोल उपस्थित रहता है.

उनका पहला कविता संग्रह ‘मछलिया गाएंगी एक दिन पंडुम गीत’ 2021 में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था.

उनके इस पहले संग्रह को हिंदी समाज ने हाथों-हाथ लिया.

उनका दूसरा कविता संग्रह भी जल्द प्रकाशित होने वाला है.

पूनम को छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा पुनर्नवा पुरस्कार 2020, अमर उजाला शब्द सम्मान 2022 और कलिंग लिट्रेचर फेस्टिवल बुक अवार्ड 2022 से सम्मानित किया जा चुका है.

पूनम वासम ने की है नक्सलियों पर पीएचडी

1 जनवरी 1980 को जगदलपुर में जन्मी पूनम की स्कूली शिक्षा, जगदलपुर के महारानी लक्ष्मीबाई हायर सेकंडरी स्कूल से हुई है.

समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में एमए करने वाली पूनम ने आत्म समर्पित नक्सलियों के समाजशास्त्रीय पहलू पर पीएचडी की है.

वे बीजापुर में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

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