आरटीआई दायरे से बाहर किए जाएंगे राजनीतिक दल
नई दिल्ली: केंद्र सरकार जल्द ही राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए अध्यादेश ला सकती है. सरकार आरटीआई कानून में संशोधन कर राजनीतिक दलों को इससे बाहर रखने पर विचार कर रही है.
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुला सकती है, जिसमें सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून में उन बदलावों के बारे में चर्चा की जाए जिससे राजनीतिक दलों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जा सके.
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय सूचना आयोग (सीईसी) ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि राजनीतिक पार्टियां भी अब सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएंगीं. सीईसी ने उस समय कहा था कि चूंकि ये राजनीतिक पार्टियां सार्वजनिक संस्थाएं हैं और वे सरकार से सार्वजनिक संस्थाओं को मिलने वाली तमाम तरीके की सुविधाएं प्राप्त करती हैं इसीलिए वे भी आरटीआई के दायरे में लाए जा सकते हैं.
सीईसी के अनुसार सार्वजनिक संस्था होने की वजह से राजनीतिक पार्टियों को जनता के प्रति जवाबदेह होना होगा और मांगे जाने पर ये जानकारी भी देनी होगी कि उन्हें पैसा कहां से मिलता है और उसे किस मद में खर्च किया जाता है.
सीईसी का यह आदेश आने के बाद से ही सभी राजनीतिक दलों में खलबली मची हुई थी और आमतौर पर हर छोटे बड़े मुद्दे पर एक दूसरे का विरोधी भाव रखने वाली राजनीतिक पार्टियां भी इस मुद्दे पर एकजुट दिख रही है.
अब सरकार आरटीआई कानून का ही संशोधन कर `सार्वजनिक संस्था’ की परिभाषा में ही बदलाव कर राजनीतिक दलों को इस कानून से बाहर रखने की योजना बना रही है.