उत्तर प्रदेश में दिखेगा बिहार जैसा गठबंधन?
लखनऊ | समाचार डेस्क: क्या उत्तरप्रदेश में भी बिहार के समान गठबंधन बन पायेगा ? क्या राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके कट्टर विरोधी नीतीश कुमार के पुनर्मिलन को उत्तर प्रदेश में मायावती और मुलायम सिंह यादव दोहराएंगे? लालू प्रसाद द्वारा नरेंद्र मोदी के प्रभाव को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में भी समान गठबंधन करने के सुझाव को राज्य में गंभीरता से नहीं लिया गया है.
1990 के दशक में संक्षिप्त गठबंधन के बाद अलग हुई बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस तरह की संभावना से इंकार किया है. बसपा के एक मंत्री ने कहा, “उत्तर प्रदेश में ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा. लालू और नीतीश भले ही अपनी राजनीतिक चमक खो चुके हों लेकिन मायावती राज्य में सभी राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र में हैं.”
विधानसभा में विपक्ष के नेता और बसपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा के साथ गठबंधन के बारे में विचार भी नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि मायावती ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. मौर्य ने कहा कि पार्टी के समर्थक 1995 में सपा के गुंडों द्वारा माायावती पर किए गए जानलेवा हमले को नहीं भूले हैं.
मौर्य ने कहा कि यही वजह है कि बसपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. सत्तारूढ़ सपा के साथ दुश्मनी को समाप्त करने की जहां तक बात है, तो पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कह चुके हैं कि यह नहीं होने जा रहा.
इन दो क्षेत्रीय पार्टियों के बीच 1990 के दशक में प्रत्येक छह महीने में बारी-बारी से सरकार बनाने के लिए हुए समझौते और फिर उनकी कड़वाहट को देखने वाले एक राजनीतिक पर्यवेक्षक का कहना है कि मायावती और मुलायम एकदूसरे के प्रति गहरी ईष्र्या रखते हैं.
सूत्रों का कहना है कि मायवती कभी भी उन पर किए गए हमले की घटना को नहीं भूलेंगी जिसके बारे में उन्होंने कहा था, “यादव मुखिया के आदेश पर गुंडागर्दी की यह घटना हुई है.”
इसके बाद से दोनों के संबंध खटाई में पड़ गए और दोनों कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरे. इसके बाद एक घटना को छोड़ कर दोनों की कोई मुलाकात नहीं हुई और उनके बीच संपर्क का रास्ता कट गया.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि अगर यह गठबंधन होता है, उनकी पार्टी को हैरानी नहीं होगी.
उन्होंने कहा, “हमें हैरानी नहीं होगी, क्योंकि हम यह लंबे समय से कहते आ रहे हैं. अगर वे एक होते हैं तो इससे सिर्फ यह साबित होगा कि मोदी की सकारात्मक राजनीति को रोकने के लिए वे किसी भी स्तर तक जा सकते हैं.”
सपा के एक वरिष्ठ नेता लालू के सुझाव को बकवास करार देते हुए कहते हैं कि बसपा जैसी भ्रष्ट और जातिवादी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं हो सकता.