अमन सिंह के खिलाफ याचिका खारिज
बिलासपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री के सचिव के सचिव अमन सिंह के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी.
उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए टिप्पणी की है कि सेवा मामलों में जनहित याचिका स्वीकार्य नहीं है. बोरा व्यवसायी नितिन सिन्हा ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अमन कुमार सिंह राजस्व सेवा, सीमा शुल्क व आबकारी विभाग में पदस्थ थे.
बीते 6 साल से वह छत्तीसगढ़ शासन में प्रतिनियुक्ति के रूप में कार्य कर रहे हैं. वर्तमान में सूचना एवं प्रौद्योगिकीए जैव प्रौद्योगिकी, ऊर्जा व मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में कार्यरत हैं. उन्हें राज्य शासन ने 21 अप्रैल 2010 को संविदा नियुक्ति दी है.
याचिका में कहा गया था कि अमन सिंह आईएएस कैडर के सदस्य नहीं हैं और जिस पद पर कार्यरत हैं, उस पद की निर्धारित योग्यता नहीं रखते. लिहाजा, उनकी संविदा नियुक्ति अवैध है. इसके अलावा मुख्यमंत्री के सचिव का पद नियमित कैडर का होता है, इसलिए उनकी संविदा नियुक्ति निरस्त की जाए.
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. शासन ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि सिंह को जो दायित्व सौंपा गया है, वह नॉन कैडर का पद है, क्योंकि वे अतिरिक्त प्रभार के रूप में ऊर्जा सचिव का काम कर रहे हैं. साथ ही मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के पद पर आईएएस कैडर के एन बैजेंद्र कुमार पदस्थ हैं.
शासन ने कहा कि सिंह ने भारतीय राजस्व सेवा से 27 जनवरी 2010 को त्यागपत्र दे दिया था. उसके बाद ही शासन ने उन्हें संविदा नियुक्ति दी है. जवाब में यह भी तर्क दिया गया कि 31 दिसंबर 2012 को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा संविदा नियुक्ति नियम 2012 प्रभावशील हुआ, जिसमें नियम 4 (5) एवं 5 (3) के तहत भी जनहित याचिका विचार योग्य नहीं है.
सभी पक्षों की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांतों का हवाला देते हुए शुक्रवार को जनहित याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही माना है कि सर्विस मामलों में जनहित याचिका स्वीकार नहीं है.
इस प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से वकील वी.जी. ताम्रस्कर, राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता जे.के. गिल्डा, उपमहाधिवक्ता आशुतोष सिंह कछवाहा और अमन सिंह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र श्रीवास्तव व आशीष श्रीवास्तव ने पैरवी की.
शासन ने अपने जवाब में कहा है कि 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में हर स्तर पर अधिकारियों की कमी रही है. इसलिए राज्य सरकार ने 6 जनवरी 2006 को छत्तीसगढ़ कार्य आवंटन नियम में संशोधन कर अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें सूचना एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी सचिव के पद को गैर कैडर पद बताया गया. साथ ही सूचना एवं प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी को एक अलग विभाग के रूप में अधिसूचित किया है.
शासन की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह भी कहा गया है कि सिंह को उनके कार्य अनुभव के आधार पर 16 जनवरी 2013 को अलगे 2 वर्षो के लिए पुन: संविदा नियुक्ति प्रदान की गई है.