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धान खपाने पटवारियों ने रिहायशी इलाके में उगा दी फसल

अंबिकापुर|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के सरगुजा के 150 पटवारियों पर आरोप है कि उन्होंने सहकारी समितियों में अवैध रूप से धान खपाने के लिए रिहायशी इलाकों में भी धान की फसल उगा दी. इतना ही नहीं जिन खेतों में गन्ने और मक्के की खेती हो रही है, वहां भी धान होना दिखाया गया है. इस प्रकार कुल 1820 खसरा के करीब 4575 एकड़ जमीन पर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है. सरकार ने गड़बड़ी करने वाले इन सभी पटवारियों को नोटिस जारी किया है.

राज्य सरकार द्वारा धान रकबा की सही जानकारी के लिए गिरदावरी का काम पटवारियों को सौंपा गया था.

साथ ही स्पष्ट निर्देश जारी किया था कि खेतों में जाकर ही गिरदावरी रिपोर्ट तैयार किया जाए. लेकिन आरोप है कि पटवारियों ने सरकार के इस आदेश को दरकिनार करते हुए अपने दफ्तर में ही बैठकर अपने इलाके की गिरदावरी कर दी.

साथ ही बिचौलियों से सांठगांठ कर अवैध रूप से धान खपाने गिरदावरी रिपोर्ट में गड़बड़ी भी की.

आरोप है कि सरगुजा के सात ब्लॉक के 150 पटवारियों ने तो घने आबादी वाले क्षेत्र, जहां बड़े-बड़े मकान हैं, वहां धान की फसल लगा होना लिखकर रिपोर्ट तैयार कर दी है.

लेकिन सरकार द्वारा इस बार गिरदावरी रिपोर्ट की तीन चरणों में जांच करवाई गई. इसी प्रक्रिया में इन पटवारियों की कथित गड़बड़ी सामने आई.

इसके बाद संबंधित अधिकारियों द्वारा पटवारियों को नोटिस जारी किया गया है. जिसमें से मात्र 18 पटवारियों ने ही जवाब दिया है.

25 करोड़ की धान खपाने की थी तैयारी

आरोप है कि सरगुजा के 4575 एकड़ रकबा में धान की पैदावार सिर्फ कागजों में दर्शायी गयी है.

एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक सरगुजा क्षेत्र में इस बार औसतन 18 क्विंटल प्रति एकड़ धान का उत्पादन हुआ है.

इस प्रकार लगभग 82 हजार 350 क्विंटल धान अवैध रूप से समितियों में खपाने की तैयारी थी. जिसकी कीमत 3100 रूपये समर्थन मूल्य की दर से लगभग 25 करोड़, 52 लाख रुपये होती है.

बताया गया कि सरगुजा जिले में भौतिक सत्यापन कराया गया तो लगभग 7 प्रतिशत खेतों में धान नहीं मिला है.

भौतिक सत्यापन में सबसे ज्यादा गड़बड़ी जिले के बतौली ब्लॉक में पाई गई है.

बतौली के 452 खसरा में धान की जगह दूसरी फसल या फिर मकान मिले हैं.

इसके बाद अंबिकापुर और उदयपुर में भी अधिक गड़बड़ी मिली है.

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