प्रसंगवश

पठानकोट हमला पुलिस की लापरवाही?

पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने पाकिस्तानी आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना को बेहद हल्के में लिया था. पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर आसन्न आतंकी हमले की इस सूचना पर इन वरिष्ठ अफसरों ने काफी देर तक कोई कदम नहीं उठाया.

पंजाब पुलिस के सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए इस मामले में कुछ वरिष्ठ अफसरों की भूमिका की आंतरिक जांच होने की पुष्टि की है. इन अफसरों ने गुरदासपुर के पुलिस अधीक्षक (अंडर ट्रांसफर) सलविंदर सिंह की आतंकवादियों के होने के बारे में सूचना को ‘हल्के में और लापरवाही में लिया’ जबकि सलविंदर आतंकवादियों की मौजूदगी के बेहद महत्वपूर्ण गवाह थे.

सलविंदर सिंह का कहना है कि खुद को बंधन से छुड़ाने के बाद उन्होंने अपने अधिकारियों से बात की थी और उन्हें अपने अपहरण और आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी थी.

अधिकारियों ने घंटों तक इस महत्वपूर्ण सूचना पर कोई कदम नहीं उठाया. इससे आतंकियों को पठानकोट वायुसेना अड्डे में घुसने और हमले के लिए पर्याप्त समय मिल गया. इस हमले ने सात सुरक्षा कर्मियों की जान ले ली.

उच्चपदस्थ पुलिस सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब के पुलिस महानिदेशक से एसपी के अपहरण और आतंकियों के होने की सूचना पर कार्रवाई में देरी पर रपट मांगी है.

पुलिस सूत्र ने बताया, “यही नहीं कि कुछ वरिष्ठ अफसर एसपी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे, बल्कि उन्होंने उल्टे एसपी को एक मामले में फंसाने की धमकी भी दी. उन्होंने एसपी को धमकाया कि उन्हें टैक्सी चालक इकागर सिंह की हत्या में फंसा दिया जाएगा. इकागर की हत्या इन्हीं आतंकवादियों ने की थी.”

पूरे मामले में अपने वरिष्ठ अफसरों के शक के शिकार रहे सलविंदर ने मंगलवार को कहा, “मेरी सूचना सौ फीसदी सही थी. इसमें कोई शक ही नहीं है. खुद को बंधन से छुड़ाने के बाद मैं पास के गांव गोलपुर सिंबली गया और वहां बताया कि मैं कौन हूं. मैंने अपने अफसरों को फोन किया और उन्हें जानकारी दी. मेरी सूचना ने बड़ी घटना को होने से बचा लिया. अगर मैंने सूचना न दी होती तो वे (आतंकी) आम लोगों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते थे.”

सलविंदर ने कहा कि उन्होंने पहली जनवरी को तड़के तीन बजे गुरदासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गुरप्रीत सिंह तूर को फोन किया था. तूर ने कहा कि उनके बजाए पुलिस नियंत्रण कक्ष से संपर्क करो.

सूत्रों के मुताबिक, एसपी ने पहली जनवरी को सुबह 11 बजे नियंत्रण कक्ष से संपर्क किया.

सलविंदर ने कहा, “मैंने तुरंत वरिष्ठ अफसरों को जानकारी दी थी. मुझे नहीं पता कि देर क्यों हुई.”

पुलिस सूत्रों ने बताया कि पंजाब पुलिस का एक वरिष्ठ अफसर बाद में अकालगढ़ में उस जगह पहुंचा जहां एसपी की गाड़ी मिली थी. उसने सलविंदर का मजाक उड़ाने की कोशिश यह कहते हुए की कि वह कालानौर स्थित अपनी महिला मित्र से मिलने गए थे. उन्होंने सलविंदर पर टैक्सी चालक की हत्या समेत कुछ और आरोप भी लगाए.

सूत्र ने कहा, “जब एसपी के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर रखा गया, तब पुलिस अफसरों को स्थिति की गंभीरता का अहसास हुआ. मोबाइल फोन से पाकिस्तान बात की गई थी. इसके बाद अफसरों ने संबंधित लोगों को जानकारी दी. इस बीच में काफी समय बर्बाद हो गया और आतंकी वायुसेना अड्डे में घुसने में कामयाब हो गए.”

एसपी से इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी, अन्य केंद्रीय एजेंसियों और पंजाब पुलिस ने पूछताछ की है.

एनआईए ने इस मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज की है. इनका संबंध एसपी एवं अन्य के अपहरण, टैक्सी चालक की हत्या और पठानकोट एएफएस पर हमले से है.

एसपी सलविंदर सिंह का अपहरण उनके दोस्त राजेश वर्मा और रसोइये मदन गोपाल के साथ किया गया था. पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उनकी महिद्रा एसयूवी पर कब्जा कर इन्हें अगवा किया था.

सलविंदर का कहना है कि आतंकवादी नीली बत्ती लगी उनकी महिंद्रा एसयूवी में उन्हें जंगल के उस इलाके में दोबारा ढूंढ़ने आए थे, जहां उन्हें मदन गोपाल के साथ 31 दिसंबर की रात आतंकवादियों ने छोड़ा था.

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