एनालजिन पर संसदीय समिति सख्त
स्वास्थ्य पर गठित संसदीय समिति ने दर्द निवारक दवा एनालजिन पर सख्त रवैया अख्तियार किया है. समिति ने सवाल खड़े किये हैं कि जब विदेशो में यह प्रतिबंधित है तो भारत में कैसे बेरोक टोक बेचा जा रहा है.
औषधि परीक्षण सलाहकार बोर्ड ने भी यह फरमान जारी किया था कि इसे केवल अत्याधिक दर्द तथा बुखार में ही दिया जाना चाहिये. संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि जब सुरक्षित विकल्प उपलब्ध है तो विदेशो में प्रतिबंधित होने के बावजूद क्यों इसे हमारे देश में बेचने की अनुमति दी गई है. समिति के अनुसार एनालजिन तो आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में भी शामिल नही है.
औषधि परीक्षण सलाहकार बोर्ड ने अनिवार्य कर दिया है कि एनालजिन की गोली तथा इंजेक्शन पर ही यह अंकित होना चाहिये कि इसे अति आवश्यक होने पर ही उपयोग में लाया जाए. जबकि वास्तविकत्ता यह है कि ये धड़ल्ले से बिक रही है.
ज्ञात्वय रहे कि एनालजिन की खोज 1920 में अमेरिका में हुई थी. लेकिन 1970 से अधिकांश देशो ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है. क्योंकि इस दवा का मानव शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इससे रक्त की स्वेत कणिकाए कम होने लगती है. जिससे रोग प्रतिरोध क्षमता घटने लगती है. इसी कारण स्वंय अमेरिका में जहॉ इसका ईजाद हुआ था प्रतिबंधित है.
संसदीय समिति चाहती है कि चिकित्सको द्वारा यह जॉचा जाना चाहिये कि एनालजिन भारतीय परिस्थितियो में युक्तिसंगत है कि नही.