पनामा पेपर्स की जांच शुरु
नई दिल्ली | संवाददाता: सरकार ने भारत में पनामा पेपर्स की जांच शुरु कर दी है.जांच के घेरे में देश के कई राजनेता, अभिनेता और समाजसेवी शामिल हैं. आयकर विभाग के एक आला अधिकारी को पूरे मामले की आरंभिक जांच के लिये वर्जिन आइलैंड भेजा गया है.
सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग ने पनामा पेपर्स में जिन लोगों के नाम सार्वजनिक हुये थे, उनमें से 33 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा दूसरे नामों को लेकर भी जांच चल रही है.
दिलचस्प ये है कि पनामा पेपर्स मामले में जिन-जिन लोगों के नाम कथित रुप से सार्वजनिक हुये हैं, उनमें से सभी ने अपना पल्ला झाड़ लिया है. फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन पहले ही कह चुके हैं कि उनके नाम का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है और उनका पनामा में कोई खाता नहीं है.
इसी तरह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के सांसद बेटे अभिषेक सिंह भी कह चुके हैं कि उनके कथित नाम से जिस खाते का उल्लेख कथित पनामा पेपर्स में है, उसका उनसे कोई लेना देना नहीं है. मुख्यमंत्री रमन सिंह भी इस खाते का खंडन कर चुके हैं.
यहां यह उल्लेखनीय है कि ‘इंटरनेशनल कनसोरशियम ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ यानी आईसीआईजे के ऑफशोर लीक्स डाटाबेस में कवर्धा के किसी अभिषेक सिंह का नाम है. जिसका पता रमन मेडिकल स्टोर, नया बस स्टैंड, वार्ड नंबर 20, विंध्यवासिनी वार्ड, कवर्धा है.
इसके अलावा सात अन्य लोगों के भी नाम इस रिपोर्ट में हैं. इनमें रायपुर के चार लोगों की कंपनी रायपुर कार्प शामिल है. 23 मई 2005 को पनामा में इस कंपनी ने अपने को रजिस्टर्ड कराया था. लेकिन बाद में 9 मार्च 2012 को कंपनी ही बंद हो गई. भिलाई के नेहरु नगर इलाके के चेतनकुमार मथुरादास संगानी, निमिश अग्रवाल और सुनील अग्रवाल का नाम भी पनामा पेपर में आया था. संगानी का पता 9 ए/3 नेहरु नगर इस्ट, भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़ बताया गया है.
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी सवाल खड़े किये थे और दावा किया था कि पनामा में जिन लोगों ने अपनी अवैध कमाई जमा की है, उनमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे सांसद अभिषेक सिंह भी शामिल हैं. प्रशांत भूषण ने कथित दस्तावेज भी जारी किये थे. लेकिन मुख्यमंत्री रमन सिंह और सांसद अभिषेक सिंह इस आरोप का पूरी तरह से खंडन कर चुके हैं.