फिलिस्तीन का झंडा फहराने के आरोपी सभी युवकों को जमानत
बिलासपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फिलिस्तीन का झंडा फहराने के आरोप में गिरफ़्तार किए गये पांच लोगों को गुरुवार को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.
सिटी मजिस्ट्रेट के अपने दफ़्तर नहीं आने के कारण कल इनकी रिहाई टल गई थी. जब बड़ी संख्या में सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय पर नागरिकों ने धरना दिया, तब कल रात सिटी मजिस्ट्रेट ने इन सबकी रिहाई के कागज पर हस्ताक्षर किया.
इधर पुलिस ने इन आरोपियों के सेल फोन इनके घर से जब्त किए हैं. परिजनों का कहना है कि उन्हें इसका हैश वैल्यू नहीं दिया गया है.
सेलफोन या लैपटॉप जैसे हर उपकरण की एक हैश वैल्यू होती है. अगर इस उपकरण में कोई डॉक्यूमेंट डाला जाता है तो उसकी हैश वैल्यू बदल जाती है. यानी अगर जब्ती के बाद उपकरण में कोई छेड़छाड़ होती है, तो उसकी हैश वैल्यू बदल जाती है.
क्या हुआ था बिलासपुर में
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सोमवार को फिलिस्तीन का झंडा लगाने के मामले में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ़्तार किया था.
पुलिस के अनुसार बिलासपुर के तारबाहर क्षेत्र में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर जुलूस निकाला गया था.
इस दौरान जगह-जगह बैनर-पोस्टर और झंडे लगाए गए थे.
खुदीराम बोस चौक के पास सड़क पर कई जगह फिलिस्तीन के झंडे लगे हुए देखे गए, जिसका वीडियो बना कर किसी ने वायरल कर दिया.
मंगलवार को वीडियो सामने आया तो हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने तारबहार थाने का घेराव करते हुए जमकर नारेबाजी की.
इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उसने फिलिस्तीन के झंडे उतरवाकर जब्त किए.
इसके बाद इस मामले में 16 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जबकि पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.
इन सबके ख़िलाफ़ पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 197 (2) के तहत मामला दर्ज़ किया गया.
धारा 197 (1) का मुख्य उद्देश्य भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करना है. यदि कोई व्यक्ति, बोलकर, लिखकर, संकेतों द्वारा या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा यह कहता है कि किसी विशेष वर्ग (जैसे धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र के आधार पर) के लोग भारत के संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा नहीं रख सकते, तो वह इस धारा के अंतर्गत अपराधी होगा.
अगर यह अपराध किसी धार्मिक स्थल या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान किया जाता है, तो सजा और कड़ी हो जाती है. धारा 197 (2) के तहत अपराधी को पांच साल तक की कैद और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. यह सुनिश्चित करता है कि धार्मिक अवसरों का दुरुपयोग करके कोई व्यक्ति समाज में विभाजन न फैला सके.
मोदी फिलिस्तीन की मदद के लिए हमेशा रहते हैं आगे
फिलिस्तीन भारत का मित्र राष्ट्र है. बरसों से भारत फिलिस्तीन के साथ खड़ा रहा है. यहां तक कि भारत फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के अधिकार को “फिलीस्तीनी लोगों का एकमात्र वैध प्रतिनिधि” के रूप में समकालीन रूप से मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था.
इजराइल और फिलिस्तीन के युद्ध के दौरान पिछले साल भारत ने फिलिस्तीन के लोगों के लिए लगभग 6.5 टन चिकित्सा सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री भेजी थी. पिछले ही साल भारत ने 50 लाख डॉलर की मदद फिलिस्तीन को की थी.
इससे पहले 19 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात की थी और गाजा के अल अहली अस्पताल में नागरिकों की मौत पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की थी. टेलीफोन पर बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था कि भारत फिलिस्तीनी लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजना जारी रखेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और इस क्षेत्र के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा करते हुए इस क्षेत्र में आतंकवाद, हिंसा और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की.