पाक में अपाहिज़ को कैसे देंगे फांसी?
इस्लामाबाद | बीबीसी: देखना है कि मंगलवार को पाकिस्तान में एक लकवाग्रस्त अपाहिज को किस तरह से फांसी के फंदे पर चढ़ाया जाता है. सबसे पहली बात है कि लकवाग्रस्त इंसान खड़ा नहीं हो सकता. दूसरा पाकिस्तान के जेल के नियमों के अनुसार फांसी पर चढ़ाया जाने वाला अपने पैरों पर चल कर आयेगा. मामला तकनीकी होते हुये भी मानवता से जुड़ा हुआ है. पाकिस्तान में एक अपाहिज़ व्यक्ति को मंगलवार को फांसी दी जानी है लेकिन अधिकारी ये नहीं बता पा रहे हैं कि मौत की सज़ा पर अमल कैसे होगा. पाकिस्तान में जेल नियमों के अनुसार सज़ा पर अमल के लिए क़ैदी को फांसी के तख़्ते पर खड़ा होना ज़रूरी है.
लेकिन व्हीलचेयर इस्तेमाल करने वाले 43 वर्षीय अब्दुल बासित का कमर से नीचे वाला हिस्सा लगवाग्रस्त है और वो खड़े नहीं हो सकते. बासित को छह साल पहले हत्या के एक मामले में दोषी क़रार दिया गया था और जेल में ही वो लकवे का शिकार हुए.
पाकिस्तान में दिसंबर 2014 में फांसी की सज़ा दिए जाने पर लगी रोक को हटाया गया था. तब से बासित 240वें व्यक्ति हैं जिन्हें फांसी दी जानी है.
बासित को पिछले महीने लाहौर में फांसी दी जानी थी. लेकिन उनकी सज़ा को टाल दिया गया.
अब एक अदालत ने उनकी मौत की सज़ा पर अमल करने का हुक्म दिया है, हालांकि राष्ट्रपति के सामने उनकी दया याचिका अब भी लंबित है.
उधर मानवाधिकार समूहों का कहना है कि जेल के दिशा-निर्देशों में लकवाग्रस्त किसी व्यक्ति को फांसी देने की बात शामिल नहीं है.
जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान संस्था के प्रवक्ता हसन वहीद कहते हैं, “नियमों में माना गया है कि दोषी व्यक्ति फांसी के तख़्ते तक चल कर आएगा, जो अब्दुल बासित के मामले में संभव नहीं है.”
वैसे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट, दोनों ही अब्दुल बासित को फांसी दिए जाने पर अपनी सहमित दे चुके हैं.
पाकिस्तान में ऐसे कैदियों की संख्या आठ हज़ार के आसपास बताई है जिन्हें मौत की सज़ा सुनाई जा चुकी है.