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पद्म पुरस्कार पर कांग्रेस में तकरार

नई दिल्ली | डेस्क: पद्म पुरस्कारों से इंकार और स्वीकार को लेकर कांग्रेस में तकरार बढ़ती जा रही है.पद्म पुरस्कार स्वीकार करने वाले ग़ुलाम नबी आज़ाद की पार्टी के भीतर ही आलोचना शुरु हो गई है.

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य द्वारा पद्मभूषण को स्वीकार न करने की ख़बर को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बिना नाम लिये अपने साथी ग़ुलाम नबी आज़ाद द्वारा पद्मभूषण स्वीकार किये जाने की आलोचना की है.

ग़ुलाम नबी आज़ाद वर्ष 2020 में उस समय चर्चा में आए, जब कुछ पार्टी नेताओं की चिट्ठी लीक हुई, जिसमें कांग्रेस में नेतृत्व के लिए चुनाव करने की मांग थी. चिट्ठी लिखने वालों में ग़ुलाम नबी आज़ाद का भी नाम था.

बाद में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि अगर कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं हुआ तो पार्टी अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहेगी.

इसके बाद संसद में अपने विदाई भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बता कर उन्होंने साफ कर दिया था कि वे कांग्रेस में होने के बाद भी किसी कट्टर मोदी समर्थक से कम नहीं हैं. अब जबकि ग़ुलाम नबी आज़ाद को पद्मभूषण दिया गया है तो उन

जयराम रमेश ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य के पद्म भूषण को स्वीकार न करने की ख़बर शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा कि वे सही कर रहे हैं, क्योंकि वे आज़ाद रहना चाहते हैं ग़ुलाम नहीं.


ग़ुलाम नबी आज़ाद के साथ कांग्रेस नेतृत्व को कटघरे में खड़ा करने वाले कपिल सिब्बल ने पद्मभूषण मिलने पर बधाई दी है और कांग्रेस पार्टी पर तंज कसा है.

कपिल सिब्बल ने लिखा-बधाई भाई जान. ये विडंबना है कि जब देश सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को मान्यता दे रहा है, कांग्रेस को उनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं.

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