विपक्ष हीन भावना का शिकार: मोदी
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सुचारु ढंग से सरकार चलाने में विपक्ष का सहयोग मांगा. इस क्रम में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान संसद के शांतिपूर्ण ढंग से हुए संचालन को भी याद किया. मोदी ने अपने घंटे भर लंबे भाषण में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई कार्रवाई और हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित शोधछात्र रोहित वेमुला की मौत जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं कहा, जिनकी वजह से दो दिनों तक संसद में गतिरोध जारी रहा था.
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण पर हुई चर्चा को समेटते हुए कहा, “संसद एक ऐसा मंच है, जहां सरकार से प्रश्न पूछे जाते हैं और सरकार विभिन्न मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करती है. यह वह मंच है जहां सरकार को जवाबदेह बनाया जाता है. किसी को छोड़ा नहीं जाता.”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि संसदीय सत्र तभी फलदायक होता है, जब चर्चा के दौरान संसदीय मर्यादाओं का पालन किया जाता है. लोकसभा और राज्यसभा को शांतिपूर्ण और जिम्मेदारीपूर्ण ढंग से चलने दें.
मोदी ने यह भी कहा कि यह एक उपदेश नहीं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के शब्द हैं.
उन्होंने नेहरू, इंदिरा और देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को भी याद किया और विपक्ष से आग्रह किया कि वस्तु एवं जीएसटी सहित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने में सहयोग दें.
मोदी ने कहा कि विपक्ष हीन भावना का शिकार है. कुछ लोग सिर्फ विरोध के लिए विरोध करते हैं. विपक्ष में कुछ बहुत अच्छे सांसद हैं, लेकिन उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी जाती.
हालांकि, अपने भाषण के अंत में मोदी ने अपना रुख नरम किया और कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से देश और जनता के वास्ते सरकार चलाने में सहयोग मांगा.
उन्होंने कहा, “आइए कंधे से कंधा मिलाकर चलें और देश के लिए कुछ करें. मैं नया हूं और आप अनुभवी हैं. आइए देश के लिए हम साथ मिलकर काम करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग उम्र के साथ सीखते हैं, लेकिन कुछ नहीं.
राहुल का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2013 में दागी सांसदों के चुनाव लड़ने के बारे में कांग्रेस सरकार द्वारा लाए जा रहे विवादास्पद अध्यादेश को फाड़ दिया था.
मोदी ने कहा, “अध्यादेश को तब फाड़ा गया, जब माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ओबामा से मिलने अमरीका गए हुए थे. कृपया बड़ों का सम्मान करना सीखें.” मोदी के भाषण के दौरान राहुल सदन में मौजूद थे.
भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने मेजें थपथपाकर मोदी के भाषण का स्वागत किया. विपक्षी सांसदों ने विरोध में आवाज उठाई.
कांग्रेस सरकार पर मोदी सरकार द्वारा पहले मनरेगा के विरोध को लेकर निशाना साध रही थी, इसलिए प्रधानमंत्री ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की 2012 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार इस योजना को सबसे गरीब राज्यों में प्रभावशाली ढंग से लागू करने में नाकाम रही थी.
मोदी ने कहा, “कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि अगर कांग्रेस ने पिछले 60 सालों में गरीबों के लिए काम किया होता तो गरीब आज भी तकलीफें नहीं झेल रहे होते.”
मोदी ने कहा, “विपक्ष हमारे काम के प्रदर्शन को लेकर आलोचना नहीं कर रहा, बल्कि वह इस बात से दुखी है कि हम लोग उससे बेहतर काम कर रहे हैं.”