कलेक्टर ओपी चौधरी का इस्तीफा
रायपुर | संवाददाता: रायपुर के कलेक्टर ओपी चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है.युवा आईएएस चौधरी भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर खरसिया से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि चौधरी ने इस्तीफे की पुष्टि नहीं की है लेकिन कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि चौधरी का इस्तीफा मिल चुका है और जल्दी ही उसकी मंजूरी की उम्मीद है.
गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों से 2005 बैच के आईएएस ओपी चौधरी के इस्तीफे की चर्चा थी और फेसबुक पर चौधरी के पेज का विज्ञापन भी जारी किया गया था. इसके अलावा खरसिया में उनकी सक्रियता भी तेज़ी से बढ़ी थी. जब उनके चुनाव की चर्चा शुरु हुई तो चौधरी ने शुरु में इससे इंकार किया. लेकिन बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी चाहती थी कि ओम प्रकाश चौधरी ही खरसिया से चुनाव लड़ें.
खरसिया से कांग्रेस के विधायक उमेश पटेल के खिलाफ भाजपा के सामने दमदार प्रत्याशी का संकट भी था. चौधरी उसी इलाके से हैं और जिस अघरिया जाति से पटेल आते हैं, चौधरी भी उसी जाति से हैं.
इस महीने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के रायपुर आगमन के समय उनके भाजपा प्रवेश की घोषणा होनी थी. इसी के मद्देनजर 22 अगस्त को उनका इस्तीफा भेजे जाने की तैयारी थी. लेकिन अंतिम समय में अमित शाह की यात्रा टल गई.
कौन हैं ओमप्रकाश चौधरी ऊर्फ ओपी चौधरी
रायगढ़ के पत्रकार गणेश अग्रवाल के अनुसार ओम प्रकाश चौधरी हमेशा जमीन से जुड़े रहे हैं. आठ साल की उम्र में पिता का साया सर से उठ गया था. गांव के सरकारी स्कूल में 12 वीं की पढ़ाई करने के बाद भिलाई के कॉलेज से ग्रेजुएशन के दौरान यूपीएससी की तैयारी की और 22 साल की उम्र में आईएएस बन गए.
2006 में उन्हें कोरबा सहायक कलेक्टर, 2007 में रायपुर एसडीओ, उसके बाद जांजगीर जिला पंचायत सीईओ बनाया गया. 2011 में दंतेवाड़ा कलेक्टर बने. कॉर्पोरेट सेक्टर सहित विभिन्न स्त्रोत से 100 करोड़ रुपये एकत्र कर 150 एकड़ जमीन पर आदिवासी बच्चों के लिए शैक्षणिक केंद्र की शुरुवात कर वे चर्चा में आये. आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया और इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज की प्रवेश परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग दिलाने के साथ आवसीय स्कूल की शुरुवात करवाई.
गीदम ब्लॉक के छोटे से गांव जावंगा को एजुकेशन हब बना दिया. जिले में लाइवलीहुड कॉलेज की शुरुवात की, जिसे बाद में रमन सरकार ने पूरे प्रदेश में रोल मॉडल कें रूप में लागू किया. ओपी के कार्य की चर्चा दिल्ली के गलियारों में होने लगी. बेहतर काम के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा एक्सीलेंस एवार्ड दिया गया. उनकी कार्यशैली पर भरोसा कर रमन ने उन्हें राजधानी का कलेक्टर बनाया. यहां भी नालंदा परिसर और ऑक्सीजोन बना कर