थानेदार ने रोकी थी मोदी की कार
भोपाल | एजेंसी: भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को करीब डेढ़ दशक पहले मध्य प्रदेश में अपनी उपेक्षा झेलनी पड़ी थी. एक तरफ जहां पार्टी नेताओं ने उनका अघोषित रूप से बहिष्कार कर दिया था, वहीं राजधानी भोपाल में एक थानेदार ने उनकी कार को सड़क किनारे काफी देर रोके रखा था.
यह खुलासा वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी की लिखी किताब ‘राजनीतिनामा मध्य प्रदेश : राजनेताओं के किस्से’ में किया गया है.
तिवारी ने अपनी किताब में राज्य के गठन 1956 से शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल तक के ऐसे राजनीतिक घटनाक्रमों का खुलासा किया है जिसे कम ही लोग जानते हैं.
यह किताब वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के प्रभारी बनकर आए मोदी के प्रति राज्य के नेताओं के असहयोगात्मक रुख का भी खुलासा करने वाली है.
मामला विधानसभा चुनाव 1998 का है. तिवारी बताते हैं कि वह एकीकृत मध्य प्रदेश के जगदलपुर से समाचार संकलित कर लौट रहे थे. ट्रेन में जगह न मिलने पर वह मोदी के साथ विमान से भोपाल लौटे. मोदी भोपाल के हवाईअड्डे पर उतर भारतीय जनता पार्टी की कार से अपने घर लौट रहे थे. उसी दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का काफिला हमीदिया अस्पताल चौराहे से गुजर रहा था, तो पुलिस ने अन्य गाड़ियों के साथ मोदी की कार को भी सड़क किनारे रोक दिया.
मोदी के साथ उनकी कार में सवार भाजपा कार्यकर्ता ने थानेदार को बताया कि कार में मोदी बैठे हैं, मगर थानेदार ने कोई तव्वजो नहीं दी. इसके बाद कार चालक ने थानेदार को गाड़ी रोकने के गंभीर नतीजे भुगतने तक की चेतावनी दी थी. चालक ने कहा था, ‘थानेदार साहब कुछ दिन इंतजार करो जल्द आपको पता चल जाएगा.’
तिवारी ने अपनी किताब में लिखा है कि भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे द्वारा मोदी को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाने की एक वजह थी. ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने गुजरात व हिमाचल में मोदी के प्रभारी रहते हुए ही चुनाव जीता था.
ठाकरे द्वारा मोदी को राज्य का प्रभारी बनाया जाना स्थानीय नेताओं को रास नहीं आया था. वरिष्ठ पत्रकार लिखते हैं कि सुंदरलाल पटवा और उस दौर के सबसे ताकतवर नेता तत्कालीन संगठन मंत्री कृष्णमुरारी मोघे को मोदी को राज्य प्रभारी बनाया जाना रास नहीं आया था. इस फैसले पर दोनों ने आपत्ति भी दर्ज कराई, लेकिन वह बेअसर रही.