भारत से अलग हैं हम-उमर
श्रीनगर: आजादी का जश्न मनाते जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हम बाकी राज्यों, देशवासियों से अलग हैं, क्योंकि हमसे, कश्मीरियों से अलग तरीके का व्यवहार किया जाता है. हमारा एकीकरण कानून बदलने, धारा 370 हटाने से नहीं बल्कि आप लोगों की हमारे प्रति सोच बदलने से होगा. उमर की इस बयानबाजी ने राजनीतिक गलियारे में सनसनी फैला दी है.
मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने तिरंगा फहराने के बाद कहा कि अक्सर मुझसे पूछा जाता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग खुद को बाकी देश से अलग क्यों समझते हैं? आपको क्यों लगता है कि आपमें और बाकियों में कोई फर्क है? मुझे इस सवाल का जवाब अक्सर मुश्किल लगा लेकिन किश्तवाड़ के हालात को लेकर जब मैंने सोचा तो जवाब मिल गया.
उमर ने कहा कि हम अपने आपको अलग नहीं समझते, हम अपने आपको दूसरों से बेहतर नहीं समझते. लेकिन हमारे साथ दूसरों से अलग व्यवहार आप लोग ही करते हैं, हमारे प्रति आपका रवैया बाकियों से अलग रहता है, हमारे साथ अलग तरीके से पेश आया जाता है. उन्होंने कहा कि किश्तवाड़ में जो हुआ, उसकी जितनी निंदा की जाए-कम है. मुझे अफसोस है कि मेरे शासनकाल में ऐसा हुआ. हम इस मामले की न्यायिक जांच करा रहे हैं.
किश्तवाड़ा के दंगों से आहत उमर ने कहा कि मुझे यह बताया जाए कि क्या पूरे देश में पहली बार दंगे हुए हैं? क्या किश्तवाड़ पूरे देश में अकेली ऐसी जगह है, जहां हिंदू-मुस्लिम फसाद हुए हैं? उन्होंने बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश में बीते डेढ़ साल के दौरान हुए दंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह किश्तवाड़ के दंगों को सही नहीं ठहराना चाहते. लेकिन क्या वहां देश के बड़े-बडे़ सियासी नेता गए, क्या वहां हुए दंगों पर संसद में हंगामा हुआ? किसी ने ट्वीट किया, किसी ने अखबारों में लिखा? वास्तव में उन घटनाओं का किसी ने जिक्र तक नहीं किया. इसके बावजूद आप कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोग खुद को अलग महसूस करते हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में जो होता उसे बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है. फर्क हम नहीं, आप करते हैं. आपको अपनी सोच बदलनी होगी. जिस दिन अन्य राज्यों के बारे में भी उसी तरह लिखा जाएगा, उनके मामलों पर संसद में हंगामा होगा, मैं समझूंगा कि आप हमें बाकी देश से अलग नहीं मानते.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यहां कश्मीर मसले के लिए जहां आंतरिक तौर पर बातचीत जरूरी है, वहीं पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत किए बिना यह मसला हल नही होगा. कुछ लोग कहते हैं कि यह भारत का आंतरिक मसला है. अगर यह आंतरिक समस्या होती तो तीन -चार बार जंग नहीं होती, शिमला समझौता नहीं होता.