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50% से अधिक आरक्षण असंवैधानिक-छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 50 फीसदी के अधिक आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए, 58 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी है. आरक्षण की यह व्यवस्था भाजपा शासनकाल में लागू की गई थी.

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधी फैसले का हवाला देते हुए, राज्य में 58 फीसदी आरक्षण के फैसले पर रोक लगा दी है.

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की पीठ ने यह फैसला सुनाया है.

हालांकि यह फ़ैसला भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल के 58 फीसदी आरक्षण से जुड़ा है लेकिन इस फैसले से वर्तमान भूपेश बघेल सरकार को भी झटका लगा है. भूपेश बघेल की सरकार ने आरक्षण का दायरा 58 फीसदी से बढ़ा कर 72 फीसदी कर दिया था.

इसके साथ ही छत्तीसगढ़ पूरे देश में सर्वाधिक आरक्षण देने वाला राज्य बन गया था.

माना जा रहा है कि ताज़ा फैसले के बाद भूपेश बघेल सरकार को भी बैकफूट पर आना पड़ेगा.

रमन सरकार का फैसला

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में रमन सिंह की सरकार ने 18 जनवरी 2012 को एक अधिसूचना जारी करते हुए आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 में संशोधन करते हुए आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया था.

रमन सिंह की सरकार ने अनुसूचित जनजाति को 32 फीसदी, अनुसूचित जाति को 12 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिया था.

आरक्षण का यह दायरा 58 प्रतिशत था.

पहले से लागू अनुसूचित जाति के 16 फीसदी आरक्षण को घटाकर 12 प्रतिशत किए जाने से काफी नाराजगी थी. अनुसूचित जनजाति को तब तक 20 फीसदी आरक्षण ही मिलता था, जिसे रमन सिंह की सरकार ने 32 फीसदी किया था.

आरक्षण के इस फैसले के खिलाफ कई संगठनों ने याचिका दायर की थी. जिस पर सोमवार को फैसला सुनाया गया.

भूपेश बघेल को भी झटका

इसके बाद भूपेश बघेल की सरकार ने 15 अगस्त 2019 को इससे दो कदम और आगे बढ़ कर आरक्षण के दायरे को 72 फीसदी तक पहुंचा दिया.

उन्होंने अपने भाषण में कहा-“मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी है कि हमारे प्रदेश का अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग तबका काफी शांतिप्रिय ढंग से अपने अधिकारों की बात करता रहा है. उनके संविधान सम्मत अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है.”

भूपेश बघेल सरकार ने अनुसूचित जाति के आरक्षण को 12 फीसदी से बढ़ा कर 13 फीसदी कर दिया.

उन्होंने सर्वाधिक बड़ा बदलाव अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में किया. अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी था, जिसे बढ़ा कर 27 फीसदी कर दिया गया.

इसके साथ ही राज्य में आरक्षण का दायरा 58 से बढ़ा कर 72 फीसदी कर दिया गया था.

भूपेश बघेल की सरकार के इस फ़ैसले को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. अभी इस मामले में सुनवाई नहीं हुई है.

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