ओबामा ने नेतन्याहू को चेताया!
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इजरायल के विजयी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को जीत की बधाई के साथ चेतावनी भी दे डाली. बराक ओबामा में हाल के संसदीय चुनाव में जीत के लिये बेंजामिन नेतन्याहू को बधाई तो दी परन्तु चुनाव प्रचार के दौरान अमरीकी द्वि-राष्ट्र समाधान की नीति का विरोध करने पर चेताया भी है. जाहिर है कि अमरीका कभी नहीं चाहता कि इजरायल जो उसके लिये मध्य-पूर्व में एक रणनीतिक सहयोगी है अपने पुराने नीतियों से हटे. खासकर, फिलिस्तीन राष्ट्र के बारे में अमरीकी नीतियों का समर्थन करने से. अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इजरायल के संसदीय चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज करने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन कर बधाई दी. साथ ही मध्य-पूर्व के इस देश के साथ अपने संबंध के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की बात भी कही. अमरीका की ओर से संबंधों की समीक्षा की यह चेतावनी इजरायल में संसदीय चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उस भड़काऊ बयान के कारण दी गई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह फिलिस्तीन राष्ट्र का गठन नहीं होने देंगे.
‘सीएनएन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया, “ओबामा ने नेतन्याहू से कहा कि द्वि-राष्ट्र को लेकर उनके नए बयान और रुख के कारण हमें अपने विकल्पों का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है.”
ओबामा ने द्वि-राष्ट्र समाधान को लेकर अमरीका की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया, जिसमें एक सुरक्षित इजरायल और संप्रभु फिलिस्तीन की बात है.
नेतन्याहू ने इजरायल में मंगलवार को मतदान से एक दिन पहले कहा था कि वह फिलिस्तीन का गठन नहीं होने देंगे. उनका यह बयान इजरायल-फिलीस्तीन संघर्ष के द्वि-राष्ट्र समाधान के विपरीत है, जिसका उन्होंने पूर्व में अनुमोदन किया था. हालांकि नेतन्याहू गुरुवार को अपने बयान से पीछे हट गए, जब उन्होंने ‘एनबीसी’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वह द्वि-राष्ट्र समाधान के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसके लिए परिस्थितियों में बदलाव आवश्यक है.
अमरीकी अधिकारियों ने पहले ही कहा था कि वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि नेतन्याहू फिलिस्तीन राष्ट्र का गठन न होने देने के अपने चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए अपने बयान पर कायम रहते हैं या नहीं.
नेतन्याहू ने गुरुवार को एनबीसी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, “मैं एक-राष्ट्र समाधान नहीं चाहता. मैं स्थायी, शांतिपूर्ण द्वि-राष्ट्र समाधान चाहता हूं. मैंने अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है.”