मप्र में एनआरएचएम विवादों में
भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश ग्राम आरोग्य केंद्र की स्थापना के साथ ‘ग्राम स्वास्थ्य प्रहरी दल’ गठित करने की प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने जा रहा है. स्वास्थ्य महकमे की इस कोशिश को भारतीय जनता पार्टी को राजनीतिक लाभ पहुंचाने वाला करार देते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अविलम्ब रोक लगाने की मांग की है.
राज्य का स्वास्थ्य विभाग लम्बे अरसे से विवादों से घिरा हुआ है. अफसरों के रवैए और कार्यप्रणाली से नाराज चिकित्सक आंदोलन का रास्ता तक चुनने को मजबूर हुए हैं, मगर अब ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन नया प्रयोग करने जा रहा है.
एनआरएचएम ने ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाओं पर नजर रखने के लिए ग्राम स्वास्थ्य प्रहरी दल के गठन का फैसला लिया है. यह दल सेक्टर स्तर पर 10 से 12 गांव के बीच होंगे, जो ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य इकाइयों का जायजा लेंगे. इस दल का प्रभारी चिकित्सा अधिकारी होगा. इसमें पांच सदस्य होंगे. यह सदस्य महिला-स्वास्थ्य कार्यकर्ता, बहुउद्देश्यीय कार्यकर्ता आदि होंगे. यहां गौर करने की बात यह है कि राज्य के 300 से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जहां चिकित्सक तक नहीं हैं.
एनआरएचएम ने इन दलों को अधिकार संपन्न बनाया है और इनकी रिपोर्ट के आधार पर आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता पर जिम्मेदारी तय किए जाने के साथ उनको बर्खास्त तक किए जाने की कार्रवाई की जा सकती है. इतना ही नहीं आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि देने का अधिकार भी सेक्टर अधिकारी को होगा.
यह दल माह में आठ दिन वाहन से पूरे सेक्टर का भ्रमण करेगा. यह दल ग्राम तदर्थ समिति की राशि के व्यय के संबंध में सुझाव व मार्गदर्शन भी देगा. इसके साथ ही उपस्वास्थ्य केंद्र प्रबंधन समिति की राशि के व्यय का अधिकार भी सेक्टर अधिकारी को मिल जाएगा.
मिशन संचालक एम. गीता की ओर से जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि इस व्यवस्था से ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा. साथ ही गांव को धुरी मानकर समुदाय आधारित कार्ययोजना को बनाने में भी सहयोग मिलेगा.
एनआरएचएम की मिशन संचालक एम. गीता से ग्राम स्वास्थ्य प्रहरी दल के गठन के संदर्भ में सपर्क किया गया, मगर उनका स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उनसे चर्चा नहीं हो पाई. वहीं इंदौर के संयुक्त संचालक डा. शरद पंडित ने चर्चा के दौरान स्वीकार किया कि 10 अक्टूबर से ग्राम स्वास्थ्य प्रहरी दल का गठन किया जा रहा है.
कांग्रेस ने एनआरएचएम की इस कोशिश को भाजपा का चुनावी हथियार बताया है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि भाजपा इन दलों के जरिए ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले छोटे कर्मचारियों को डराएंगे, धमकाएंगे और उन पर भाजपा के पक्ष में प्रचार का दवाब भी डालेंगे. अगर कर्मचारी ने उनकी बात नहीं मानी तो उसे कार्रवाई का डर दिखाया जाएगा. वहीं प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी जयदीप गोविंद ने एनआरएचएम के इस आयेाजन की जानकारी होने से इंकार किया.
एनआरएचएम की सेहतमंद मौसम में ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य की परवाह पर सवाल उठना लाजिमी है. अब देखना है कि चुनाव आयोग इस मामले पर क्या रुख अपनाता है.