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असम के दो सांसदों की नागरिकता पर बवाल

गुवाहाटी | संवाददाता: क्या इसम के दो सांसद भारत के नागरिक नहीं हैं? यह सवाल असम में 31 दिसंबर को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला ड्राफ्ट जारी होने के बाद सामने आया है. हालांकि दोनों सांसदों का कहना है कि अगला ड्राफ्ट जब भी जारी होगा, उसमें हमारा नाम भी शामिल होगा. इधर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि जो भी असली भारतीय नागरिक हैं, उन्हें अपनी नागरिकता को प्रमाणित करने के लिये पूरा समय दिया जायेगा.

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी में उन लोगों के नाम शामिल हैं, जिन्हें भारतीय नागरिक माना जाता है. अभी इसका पहला ड्राफ्ट जारी किया गया है. 31 दिसंबर को जारी एनआरसी को लेकर कहा जा रहा है कि राज्य के कई सांसद और विधायकों का नाम इस सूची में नहीं है. हालांकि यह पहला ड्राफ्ट है और माना जा रहा है कि अभी कई और ड्राफ्ट सामने आयेंगे.

असम में 3.29 करोड़ लोगों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी में अपना नाम जोड़ने के लिये आवेदन किया था. इनमें से 1.9 करोड़ लोगों को वैध नागरिक के रुप में मान्यता दी गई है. शेष 1.39 करोड़ लोगों का इसमें नाम ही नहीं है.

करीमगंज लोकसभा के सांसद राधेश्‍याम बिस्‍वास ने पहली लिस्ट में नाम नहीं होने पर आपत्ति जताते हुये कहा कि यहां राजनीति हो रही है. असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सांसद बिस्वास ने कहा कि मैंने अपने से जुड़े सारे दस्तावेज़ सरकार को सौंपे हैं लेकिन मेरा नाम क्यों नहीं है, यह समझ पाना मुश्किल है.

एक अन्य सांसद बदरुद्दीन अजमल ने अपना नाम नहीं होने पर उम्मीद जताई कि दूसरी जो भी लिस्ट आयेगी, उसमें उनका नाम जरुर शामिल होगा. उन्होंने कहा कि वो इस मसले को संसद में इसलिये नहीं उठा रहे हैं कि ऐसा करने से असम के लोगों में बेचैनी पैदा हो जायेगी. अजमल ने कहा कि एनआरसी को लेकर राजनीति हो रही है लेकिन हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है.

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