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अब गांव के बच्चे भी रहेंगे पालना घर में

कोरबा |संवाददाताः छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार पालना घर योजना शुरू की जा रही है. इससे अब ग्रामीण क्षेत्रों के कामकाजी माता-पिता भी अपने बच्चों को यहां छोड़कर अपने काम पर जा सकेंगे. महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. इसकी शुरूआत कोबरा जिले से होने वाली है. यहां पहले चरण में कटघोरा और कोरबा शहरी में 15 पालना घर खोले जाएंगे.

ज्ञात हो कि इससे पहले झूलाघर नाम से इस योजना का संचालन होता था. अब इसका नाम बदल कर पालना घर कर दिया गया है. इस योजना को मूर्तरूप दिए जाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिशा-निर्देश जारी किया है.

बताया गया कि पहले चरण में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के स्लम बस्तियों में पालना घर बनाने की तैयारी है. क्योंकि स्लम बस्तियों में ऐसे बच्चों की संख्या अधिक होती है जिनके माता-पिता कामकाजी हैं और उनके काम पर चले जाने के बाद बच्चों को रखने के लिए उनके घर में कोई सदस्य नहीं रहते हैं. पालना घर में ऐसे ही बच्चों को रखा जाएगा.

यहां बच्चों को रखने के लिए बकायदा केयर टेकर रखा जाएगा. यहां बच्चों को पूरक पोषण आहार खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही बच्चों के खेलने के लिए यहां पर्याप्त मात्रा में खेलने का सामान उपलब्ध रहेगा. इसके साथ ही शासन के अंतर्गत चलने वाली सभी योजनाओं का बच्चों और उनके माता-पिता को लाभ दिया जाएगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार

पालना घर योजना का संचालन ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार किया जा रहा है.

यहां के बच्चों को इससे पहले आंगनबाड़ी केन्द्रों में भेजा जाता था. लेकिन वहां बच्चों को खाना खिलाने के बाद वापस घर छोड़ दिया जाता था.

अब कटघोरा ब्लॉक में पालना घर योजना का संचालन पहली बार होने जा रहा है.

इससे यहां के भी कामकाजी परिवार को अब दिन भर बच्चे रखने की समस्या का समाधान निकल जाएगा.

हालांकि इससे पहले कोरबा शहरी क्षेत्र के स्लम बस्ती में झूलाघर नाम से इस योजना का संचालन होता था.

स्वयं सेवी संस्थाओं से मंगाएंगे आवेदन

पालना घर योजना के संचालन के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं का चयन किया जाता है. पहले भी झूला घर के नाम से योजना चल रही थी, तब भी इसके संचालन के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं को कार्य सौंपा गया था.

इस बार भी विभाग द्वारा इन्हीं संस्थाओं को कार्य सौंपे जाने की तैयारी है. यदि विभाग द्वारा ऐसा नहीं करने पर फिर स्वयं के विभागीय कर्मियों के द्वारा इसे संचालित किया जाएगा.

हालांकि अभी इस पर निर्णय नहीं लिया गया है. आगामी बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा. स्वयं सेवी संस्थाओं से इसके लिए आवेदन भी मंगाए जाएंगे.

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