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अब धान परिवहन में सरकार को करोड़ों का अतिरिक्त भार

महासमुंद|संवाददाताः कस्टम मिलिंग की राशि बढ़ाने की मांग पर अड़े राइस मिलर्स और सरकार के बीच बात का कोई नतीजा नहीं निकलने से सरकार अब खरीदी के बाद धान को संग्रहण केन्द्रों में ही रखने की तैयारी में है.

मार्कफेड के अधिकारियों का कहना है कि संग्रहण केन्द्रों में 45 लाख टन धान रखने की व्यवस्था है. इसलिए जब तक धान का उठाव नहीं होता उपार्जन केन्द्रों से धान का उठाव कर संग्रहण केन्द्र में ही रखा जाएगा. आज यानी सोमवार से काम भी शुरू कर दिया गया है.

हालांकि इससे परिवहन का खर्च बढ़ेगा और सरकार को करोड़ों रुपये का अतिरिक्त भार आएगा.

प्रदेश भर के राइस मिलर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं.

राइस मिलर्स का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती वे काम चालू नहीं करेंगे.

इसी के चलते राइस मिलर्स आगे कस्टम मिलिंग के लिए एग्रीमेंट नहीं कर रहे हैं.

अभी तक किसी भी राइस मिलर्स ने खरीफ विपणण वर्ष 2024-25 के लिए अनुबंध नहीं किया है. जिस वजह से उपार्जन केन्द्रों में धान का उठाव नहीं हो पा रहा है.

राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया कि कस्टम मिलिंग की दर, बारदाना सहित अन्य मांगों पर सरकार से चर्चा चल रही है. लेकिन अभी तक कोई भी निर्णय नहीं हो पाया है.

प्रदेश में 14 नवंबर से धान खरीदी शुरू की गई है.

इन दिनों प्रदेश के सभी खरीदी केन्द्रों में धान की आवाज तेज हो गई है.

लंबे समय तक उपार्जन केन्द्रों से धान का उठान नहीं हुआ तो खरीदी पर असर पड़ सकता है.

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