नार्वे: भारतीय मूल के दंपति से छीना बच्चा
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: नार्वे में फिर से एक भारतीय मूल के बच्चे को उनके माता-पिता से कब्जे में ले लिया गया है. नार्वे प्रशासन का आरोप है कि दंपति अपने साढ़े पांच साल के बच्चे को प्रताड़ित करती है. इस मामले में भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार की गई है तथा उन्होंने तुरंत इस पर नार्वे स्थित भारतीय दूतावास से इस मामले में रिपोर्ट भेजने के लिये कहा है.
सुषमा स्वराज ने गुरुवार को ट्वीट किया, “मैंने नार्वे में भारतीय दूतावास से मामले की रिपोर्ट भेजने को कहा है.”
I have asked Indian Ambassador in Norway to send me a report. https://t.co/666l9t91xD
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) 22 दिसंबर 2016
विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि दूतावास के अधिकारियों ने ओस्लो में बच्चे के पिता अनिल कुमार शर्मा से बातचीत कर पूरी जानकारी मांगी है. अनिल ने मामले में अपना पक्ष रखने के लिए वकील नियुक्त करने की बात भी कही है.
नार्वे स्थित दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि हम बुधवार से मामले को देख रहे हैं. नार्वे के संबंधित प्रशासन से सूचना मांगी है और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.
इससे पहले भाजपा नेता विजय जौली ने भारतीय राजदूत देवराज प्रधान को पत्र लिखकर मामले को उठाया था. इसमें बताया गया कि नार्वे के शिशु कल्याण विभाग ने किसी की शिकायत पर वहां के भाजपा समर्थक अनिल शर्मा के बेटे को जबरन अपनी सुरक्षा में ले लिया है.
संपर्क साधने पर अनिल शर्मा ने भारतीय अधिकारियों को बताया कि पुलिसकर्मियों ने 13 दिसंबर को सुबह साढ़े नौ बजे किंडरगार्डन स्कूल से उनके साढ़े पांच साल के बेटे को अपनी सुरक्षा में ले लिया. इसकी पूर्व सूचना भी नहीं दी गई थी.
इसके बाद चार पुलिस वाले घर पहुंचे और मेरी पत्नी को हिरासत में लेकर साढ़े तीन घंटे तक पूछताछ की. गौरतलब है कि अनिल शर्मा नार्वे में एक रेस्तरां चलाते हैं और वहां भाजपा के लिए प्रचार भी करते हैं.
नार्वे में किसी भारतीय मूल के दंपति से बच्चे को सुरक्षा में लिए जाने का यह पांच सालों में तीसरा मामला है. इससे पहले साल 2011 में सागरिका-अनुरूप भट्टाचार्या से उऩके तीन साल के बच्चें को अपनी कस्टडी में ले लिया था.
इतना ही नहीं साल 2012 में भारतीय मूल के एक दंपति को अपने साल व दो साल के बच्चे की प्रताड़ना के आरोप में डेड़ साल की सजा सुना दी गई थी तथा बच्चों को हैदराबाद उनके दादा-दादी के पास भेज किया गया था.